झांसी 10 फरवरी (वार्ता) उत्तर प्रदेश के सूखाग्रस्त क्षेत्र बुंदेलखंड के बांदा जिले के जखनी गांव के उमाशंकर पाण्डे ने बिना किसी तरह की सरकारी मदद से सामुदायिक आधार पर परंपरागत जल संरक्षण पद्धति को अपनाकर इस क्षेत्र में ऐसी जलक्रांति की कि बुंदेलखंड के सातों जिलों से पिछले वर्ष सरकार ने चावल और गेंहू की बड़ी मात्रा में खरीद की है।
जलसंरक्षण के क्षेत्र में अभूतपूर्व काम कर “ खेत पर मेड़ और मेड़ पर पेड़ ” का मंत्र देने वाले जलयोद्धा उमाशंकर पाण्डे ने यूनीवार्ता के साथ शनिवार को विशेष बातचीत में बताया कि यह वही बुंदेलखंड है जहां कभी मालगाड़ी से दिल्ली से पानी आया था। बांदा से चित्रकूट के मानिकपुर पाठा क्षेत्र के लिए ट्रेन के टैंकर से कभी पानी जाता था। आज उसी चित्रकूट के सूखाग्रस्त पाठा क्षेत्र की मऊ और राजापुर तहसील में किसान बासमती चावल उगा रहे हैं और यहां धान और गेंहू की खरीद के लिए सरकारी केंद्र खोले गये हैं। उत्तर प्रदेश में सरकार ने 15 जून 2023तक दो लाख चार हजार मीट्रिक टन गेंहू खरीदा जिसमें से केवल बुंदेलखंड के सात जिलों का ही योगदान 75 हजार 270 मीट्रिक टन का रहा। चित्रकूट मंडल के चार जिलों से 41076 मीट्रिक टन गेंहू खरीदा गया और यह उत्तर प्रदेश में प्रथम स्थान पर रहा वहीं दूसरी ओर बुुंदेलखंड का ही झांसी मंडल दूसरे स्थान पर रहा और यहां से सरकार ने 34197 मीट्रिक टन गेंहू खरीदा।
जल विहीन कहे जाने वाले बांदा मंडल ने वर्ष 2023-24 में 30 लाख कुंतल से अधिक बासमती का उत्पादन किया। उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले पांच वर्षो में 700 करोड़ का धान किसानों से खरीदा, जिसे सामान्य धान कहते हैं। बासमती सरकार नहीं खरीदती है ।सूखाग्रस्त क्षेत्र में धान और गेंहू की इस जबरदस्त खेती का श्रेय मेडबंदी से रूके जल को जाता है और जलयोद्धा श्री पाण्डे ने इस क्षेत्र के किसानों को मेडबंदी का मंत्र दिया।
श्री पाण्डेय ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में 15 हजार से अधिक किसानों ने अपने संसाधनों से खेतों में मेड़बंदी करायी तथा राज्यसरकार की ओर से जिलाप्रशासन के माध्यम से और उनकी योजनाओं से आठ हजार से अधिक किसानों ने मेड़बंदी की ,जिसका नतीजा है कि इस इलाके में आज न केवल धान और गेंहू बल्कि सब्जियों, दूध , मसाले और फलों के उत्पादन में भी जबरदस्त इजाफा हुआ है। औषधीय पेडों का रोपण भी बड़े पैमाने पर हुआ है जो किसानों के लिए अतिरिक्त आय का साधन बना ।
इतना ही नहीं बुंदेलखंड में संरक्षित किये गये वर्षाजल में पाली गयी मछलियों को किसान आज बड़े पैमाने पर मुम्बई और कोलकाता के बाजारों में बेच रहा है। बुंदेलखंड के 25 हजार से अधिक युवाओं ने शिक्षा प्राप्त कर परंपरागत तथा वर्तमान आधुनिक पद्धित के मेल से खेती करना शुरू किया है, जिससे बुंदेलखंड में पलायन,बेरेाजगारी जैसी विकराल समस्याओं से काफी हद तक छुटकारा मिला है।
प्राचीन जल संरक्षण विधि मेड़बंदी के समर्थन में बड़ा जनआंदोलन खड़ा करने वाले श्री पाण्डे के प्रयासों को मोदी सरकार ने पहचाना और जल योद्धा उमाशंकर पांडे को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक पदमश्री से सम्मानित किया। यह बुंदेलखंड को सेवा के क्षेत्र को मिला पहला पद्मश्री सम्मान है। इससे पहले जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार ने श्री पाण्डे को राष्ट्रीय जल योद्धा सम्मान से सम्मानित किया था। इतना ही नहीं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी “ मन की बात” कार्यक्रम में पुरखों की जल संरक्षण विधि की चर्चा की। इस विधि अपनाने के लिए पूरे देश के प्रधानों को पत्र लिखा ।
बुंदेलखंड में जलक्रांति के नायक श्री पाण्डे ने कहा कि पूरे देश में मेडबंदी के संदेश को पहुंचाने का श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को जाता है । इस मूलमंत्र की मदद से नौ वर्षों में सूखाग्रस्त कहलाने वाला बुंदेलखंड पानीदार हुआ है। उन्होंने देश के सभी हिस्सों में परंपरागत जल संरक्षण विधियों को प्रश्रय देकर कृषि उत्पादन को बढ़ाने की वकालत की है।
सोनिया
वार्ता