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पार्श्वगायिका बनना चाहती थीं पद्मिनी कोल्हापुरी

पार्श्वगायिका बनना चाहती थीं पद्मिनी कोल्हापुरी

..जन्मदिन 01 नवंबर के अवसर पर ..

मुंबई 31 अक्टूबर (वार्ता) बॉलीवुड में अपनी दिलकश अदाओं से अभिनेत्री पद्मिनी कोल्हापुरी ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया लेकिन वह फिल्म अभिनेत्री न बनकर पार्श्वगायिका बनना चाहती थीं ।

पद्मिनी का जन्म एक नवंबर 1965 को एक मध्यम वर्गीय महाराष्ट्रियन कोंकणी परिवार में हुआ। उनके पिता पंढरीनाथ कोल्हापुरे शास्त्रीय गायक थे जबकि उनकी मां एयरलाइंस में काम किया करती थीं। घर में संगीत का माहौल रहने के कारण पद्मिनी का रूझान भी संगीत की ओर हो गया और वह अपने पिता से संगीत सीखने लगीं।

वर्ष 1973 में प्रदर्शित फिल्म यादो की बारात में पद्मिनी को गाने का अवसर मिला। इस फिल्म में उनकी आवाज में रचा बसा यह गीत ..यादो की बारात निकली है आज दिल के द्वारे ..श्रोताओं के बीच काफी लोकप्रिय हुआ। इसके बाद उन्होंने किताब, दुश्मन दोस्त जैसी फिल्मों में भी अपनी बहन शिवांगी के साथ पार्श्वगायन किया ।

पद्मिनी ने बतौर बाल कलाकार अपने करियर की शुरूआत निर्माता बी. एस. थापा की फिल्म ‘एक खिलाड़ी बावन पत्ते’ से की। वर्ष 1974 में पद्मिनी को अपनी दूर की रिश्तेदार आशा भोंसले के प्रयास से देवानंद की फिल्म इश्क इश्क इश्क में बतौर बाल कलाकार काम करने का मौका मिला। इसके बाद उन्होंने ड्रीमगर्ल, साजन बिना सुहागन, जिंदगी जैसी फिल्मों में भी बतौर बाल कलाकार काम किया।

    वर्ष 1977 में प्रदर्शित फिल्म ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ पद्मिनी के करियर की अहम फिल्म साबित हुयी। महान निर्माता -निर्देशक राजकपूर की इस फिल्म में उन्होंने अभिनेत्री जीनत अमान के बचपन की भूमिका निभाई थी। इस फिल्म में पद्मिनी के अभिनय को जबरदस्त सराहना मिली इसके साथ ही वह दर्शको के बीच अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गयीं।

वर्ष 1980 में प्रदर्शित फिल्म ‘इंसाफ का तराजू’ पद्मिनी के करियर की महत्वपूर्ण फिल्म साबित हुयी। बी.आर.चोपड़ा के बैनर तले बनी यह फिल्म वर्ष 1976 में प्रदर्शित हॉलीवुड फिल्म लिपिस्टक की रिमेक थी। इस फिल्म में पद्मिनी ने अभिनेत्री जीनत अमान की बहन की भूमिका निभाई थी जो बलात्कार की शिकार एक युवती की भूमिका में थीं। फिल्म में अपनी संजीदा भूमिका से उन्होंने दर्शको का दिल जीत लिया साथ ही सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार से भी सम्मानित की गयी।

बतौर अभिनेत्री पद्मिनी ने अपने करियर की शुरूआत वर्ष 1980 में प्रदर्शित फिल्म ‘जमाने को दिखाना है’ से की। नासिर हुसैन निर्मित इस फिल्म में उनके नायक की भूमिका अभिनेता ऋषि कपूर ने निभाई थी। बेहतरीन गीत-संगीत के बावजूद फिल्म को टिकट खिड़की पर अपेक्षित सफलता नही मिली।

वर्ष 1982 में प्रदर्शित फिल्म ‘प्रेम रोग’ में पद्मिनी के अभिनय के नये रूप देखने को मिले। राजकपूर के निर्देशन में बनी इस फिल्म में पद्मिनी ने एक विधवा का किरदार निभाया था । अपने भावपूर्ण अभिनय से पद्मिनी ने दर्शकों का दिल जीतकर फिल्म को सुपरहिट बना दिया। फिल्म में अपने दमदार अभिनय के लिये वह सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित की गयीं।


   वर्ष 1982 में पद्मिनी कोल्हापुरी को सुभाष घई निर्मित फिल्म ‘विधाता’ में काम करने का अवसर मिला जो उनके करियर की एक और सुपरहिट फिल्म साबित हुयी। इस फिल्म में पद्मिनी ने अभिनय के अलावे एक गीत ..सात सहेलियां खड़ी खड़ी ..को भी अपनी आवाज दी थी जो उन दिनों श्रोताओं के बीच क्रेज बन गया था। हालांकि बाद में यह गीत बैन कर दिया गया था।

वर्ष 1983 में प्रदर्शित फिल्म ‘सौतन’ पद्मिनी के करियर की महत्वपूर्ण फिल्मों में शुमार की जाती है। इस फिल्म में उन्हें सुपरस्टार राजेश खन्ना के साथ काम करने का अवसर मिला। फिल्म में एक अछूत कन्या का किरदार निभाया था। फिल्म में अपने संजीदा अभिनय के लिये पद्मिनी सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार से नामांकित की गयीं।

वर्ष 1985 में प्रदर्शित फिल्म ‘प्यार झुकता नहीं’ पद्मिनी के करियर की सर्वाधिक सुपरहिट फिल्मों में शुमार की जाती है। इस फिल्म में उनके नायक की भूमिका मिथुन चक्रवर्ती ने निभायी थी। दोनों की जोड़ी को दर्शको ने बेहद पसंद किया। फिल्म में अपने दमदार अभिनय के लिये पद्मिनी अपने करियर में दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार से नामांकित की गयीं।

वर्ष 1986 में प्रदर्शित फिल्म ‘ऐसा प्यार कहां’ के निर्माण के दौरान पद्मिनी का झुकाव निर्माता टुटु शर्मा की ओर हो गया और बाद में उन्होंने शादी कर ली। शादी के बाद पद्मिनी ने फिल्मों में काम करना काफी हद तक कम कर दिया। वर्ष 1993 में प्रदर्शित फिल्म ‘प्रोफेसर की पड़ोसन’ के बाद पद्मिनी फिल्म इंडस्ट्री से संयास ले लिया। वर्ष 2004 में प्रदर्शित मराठी फिल्म ‘मंथन’ से पद्मिनी ने फिल्म इंडस्ट्री में अपनी वापसी की। फिल्म में उनकी भूमिका दर्शको के बीच काफी सराही गयीं। पद्मिनी ने अपने करियर में लगभग 60 फिल्मों में काम किया है। पदमिनी कोल्हापुरी इन दिनों बॉलीवुड में अधिक सक्रिय नहीं हैं।

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