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पापा कहते है बड़ा नाम करेगा ..

पापा कहते है बड़ा नाम करेगा ..



मुंबई 30 नवंबर (वार्ता) आकाशवाणी नेपाल से अपने कैरियर की शुरूआत करके शोहरत की बुंलदियों तक पहुंचने वाले बालीवुड के प्रसिद्ध पार्श्वगायक उदित नारायण आज भी अपने गीताें से श्रोताओं के दिलों पर राज करते है।

उदित नारायण झा का जन्म नेपाल में एक दिसंबर 1955 को मध्यवर्गीय ब्राह्मण परिवार में हुआ। बचपन के दिनों से ही उनका रूझान संगीत की ओर था और वह पार्श्वगायक बनना चाहते थे। इस दिशा में शुरूआत करते हुए उन्होंने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा पंडित दिनकर कैकिनी से हासिल की ।

उदित नारायण ने गायक के रूप में अपने करियर की शुरूआत नेपाल में आकाशवाणी से की जहां वह लोक संगीत का कार्यक्रम पेश किया करते थे। लगभग आठ वर्ष तक नेपाल के आकाशवाणी मंच से जुड़े रहने के बाद वह 1978 में मुंबई चले गये और भारतीय विद्या मंदिर में स्कॉलरशिप हासिल कर शास्त्रीय संगीत की शिक्षा लेने लगे ।

वर्ष 1980 में उदित नारायण की मुलाकात मशहूर संगीतकार राजेश रौशन से हुयी जिन्होंने उनकी प्रतिभा को पहचान करके अपनी फिल्म ..उन्नीस बीस ..में पार्श्वगायक के रूप में उन्हें काम करने का मौका दिया लेकिन दुर्भाग्य से यह फिल्म टिकट खिड़की पर बुरी तरह नकार दी गयी। दिलचस्प बात है कि इस फिल्म में उन्हें अपने आदर्श मोहम्मद रफी के साथ पार्श्वगायन का मौका मिला ।

                                             लगभग दो वर्ष तक मुंबई में रहने के बाद वह पार्श्वगायक बनने के लिये संघर्ष करने लगे। आश्वासन तो सभी देते लेकिन उन्हें काम करने का अवसर कोई नहीं देता था। इस बीच उदित नारायण ने गहरा जख्म, बड़े दिल वाला, तन बदन, अपना भी कोई होता और पत्तों की बाजी जैसी बी और सी ग्रेड वाली फिल्मों में पार्श्वगायन किया लेकिन इन फिल्मों से उन्हें कोई खास फायदा नहीं पहुंचा ।

लगभग दस वर्ष तक मायानगरी मुंबई में संघर्ष करने के बाद 1988 में नासिर हुसैन की आमिर खान अभिनीत पिल्म ..कयामत से कयामत तक में अपने गीत पापा कहते है बड़ा नाम करेगा की सफलता के बाद उदित नारायण पार्श्वगायक के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल हो गये।

कयामत से कयामत तक की सफलता के बाद उदित नारायण को कई अच्छी फिल्मों के प्रस्ताव मिलने शुरू हो गये जिनमें राम अवतार, त्रिदेव ,महासंग्राम ,दिल, सौगंध, फूल और कांटे जैसी बड़े बजट की फिल्में शामिल थी। इन फिल्मों

की सफलता के बाद उदित नारायण ने सफलता की नयी बुलंदियों को छुआ और एक से बढक़र एक गीत गाकर श्रोताओं को मंत्रमुंग्ध कर दिया ।

नारायण अब पांच बार फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किये जा चुके है। हिन्दी सिनेमा जगत में उदित नारायण के महत्वपूर्ण योगदान को देखते हुये उन्हें वर्ष 2009 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। वर्ष 2002 में फिल्म लगान के गीत ‘सुन मितवा’ और 2003 में फिल्म जिंदगी खूबसूरत है के गीत. छोटे छोटे सपने ..के लिये वह सर्वश्रेष्ठ

पार्श्वगायक के राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किये गये ।

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