कुम्भ नगर, 30 जनवरी (वार्ता) कुम्भ नगरी प्रयागराज में धर्म संसद में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए 21 फरवरी को भूमि पूजन का प्रस्ताव पारित किया गया।
संत अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास के लिए इसी दिन कूच करेंगे। प्रस्ताव में कहा गया है कि राम मंदिर के लिए शांतिपूर्ण और अहिंसक सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाया जायेगा। लेकिन यदि इसे रोकने का प्रयास किया गया तका संत गोली खाने को भी तैयार हैं।
कुंभ मेला क्षेत्र के सेक्टर नौ स्थित गंगा सेवा अभियानम के शिविर में आयोजित परम धर्म देश नाम से पारित प्रस्ताव में द्वारका शरदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने इसका ऐलान किया। उन्होंने बताया कि इसके लिए सभी अखाड़ों के संतों से बातचीत हो चुकी है। शंकराचार्य ने भूमि पूजन के लिए चार ईंटें भी मंगवाई हैं।
उन्होंने कहा कि अब रीराम जन्म भूमि के उद्धार के लिए बलिदान देने का समय आ गया है। चूंकि यह सरकार हमारी अपनी सरकार है। न्यायपालिका के न्यायधीश अपने लोग हैं इसलिए इनके विरूद्ध विप्लव या सशस्त्र संघर्ष करने का कोई औचित्य नहीं है। लेकिन देश की विधायिका, कार्यपालिका, ओर न्यापालिका संप्रभुता संपन्न जनता की सेवा के लिए बनाए गऐ हैं। इसके बावजूद ऐसा लगता है वे स्वयं को ही संप्रभुता संपन्न मानने लगे है।
राम जन्मभूमि पर प्रस्ताव परमहंस दास द्वारा रखा गया था। जिसे परम धर्म संसद में पास किया गया। परम धर्म संसद में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि कार्यपालिका के मुखिया प्रधानमत्री ने अपने एक साक्षात्कार में कहा है कि न्याय की प्रक्रिया पूरी होने के बाद जब उनकी बारी आयेगी तो वह अपनी भूमिका का निर्वहन करेंगे। लेकिन उन्होंने श्रीराम जन्मभूमि विवाद की न्यायकि प्रकि्रया में हसतक्षेप करते हुए उच्चतम न्यायालय में एक एप्लीकेशन दी। जिसमें कहा गया कि 0.3 एकड श्रीराम जन्मभूमि को छोडकर करीब 67 एकड़ अधिग्रहीत भूमि को मूल मालिकों को वापस देने की अनुमति दी जाए। यह भी कहा गया कि इसमें 48 एकड़ भूमि राम जन्मभूमि न्यास की है। जबकि सच्चाई यह है कि एक एकड़ भूमि के अतिरिक्त कोई भूमि न्यास की नहीं बल्कि सरकार की है।
परम संसद में कहा गया कि आज गली गली में धर्म संसद हो रही है। गृहस्थ लोग धर्म संसद नहीं बुला सकते हैं। 21 फरवरी को सभी हिन्दू चार-चार के गुट में चार-चार शिला लेकर अयोध्या पहुंचे। उन्होंने कहा कि चार लोगों पर धारा 144 नहीं लागू होती, पांच लोगों के झुंड पर धारा 144 लगती है।
स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को नन्दा, जया, भद्रा, पूर्णा नाम की चार शिलाएं सौंपी गई। इन्हीं चार नाम की शिला लेकर 21 फरवरी को अयोध्या पहुंचने के लिए परम धर्म संसद ने सभी हिंदुओं का आह्वान किया है।