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कार्तिक मास में ब्रज में लगेगी परिक्रमा की हाेड़

कार्तिक मास में ब्रज में लगेगी परिक्रमा की हाेड़

मथुरा 23 अक्टूबर (वार्ता) कार्तिक मास के दौरान ब्रजमंडल में धार्मिक कार्यक्रमों के साथ परिक्रमा करने की होड़ सी लग जाती है ।

विदेशों से आये कृष्ण भक्त चौरासी कोस की परिक्रमा करते हैं वहीं अन्य भक्त गोवर्धन, वृन्दावन, गहवरवन बरसाना, की परिक्रमा करते हैं। बंगाल से आनेवाले भक्त तो राधाकुण्ड में कल्पवास करते हैं तथा नित्य राधा कुंड की परिक्रमा करते हैं। रमेश बाबा के सानिध्य में बरसाना से कार्तिक मास की चौरासी कोस की परिक्रमा शुरू होती है जिसका सम्पूर्ण व्यय बाबा स्वयं वहन करते हैं।

कार्तिक मास के शुरू होने से एक दिन पहले चूंकि शरद पूर्णिमा पड़ती है जिसे ब्रजमंडल का सबसे पावन दिन माना जाता है क्योंकि इस दिन ठाकुर ने गोपियों के साथ यमुना पुलिन में महारास किया था। इसलिए ब्रज के मंदिरों में इस दिन कार्यक्रमों की होड़ लग जाती है।

वृन्दावन के बांके बिहारी मंदिर में तो इस दिन ठाकुर के विशेष दर्शन वर्ष में केवल एक बार ही होते हैं तथा वर्ष में एक दिन ही बिहारी जी महराज सबसे बड़ा मुकुट धारण करते हैं।

बांके बिहारी मंदिर के सेवायत आचार्य रजत गोस्वामी ने बताया कि इस दिन ठाकुर सफेद पोशाक के साथ वंशी, कटिकाछिनी, छड़,सबसे बड़ा मुकुट धारण करते हैं। इस दिन चन्द्रकला और खीर का भोग लगता है। जहां हर साल ठाकुर के इस स्वरूप के दर्शन केवल सांयंकालीन सेवा में ही होते थे वहीं इस बार यह दर्शन प्रातःकालीन सेवा में भी होंगे। दिन भर विशेष दर्शन होने के कारण भक्तों को आसानी से दर्शन हो सकेंगे।

राधाश्यामसुन्दर मंदिर वृन्दावन के सेवायत आचार्य कृष्ण गोपालानन्द देव गोस्वामी ने बताया कि मंदिर में इस बार कार्तिक नियम सेवा के उपलक्ष्य में श्रीराधाश्यामसुन्दर जी का श्रंगार लीला महोत्सव पूरे कार्तिक मास चलेगा। पद्मपुराण के अनुसार कार्तिक नियम सेवा व्रत का पालन कुरूक्षेत्र में कोटि गुण, जान्हवी में तत सदृश, पुष्कर में अपेक्षाकृत अधिक फल देता है। द्वारका और अयोध्या में इसी प्रकार का फल प्राप्त होता है लेकिन कार्तिक मास में ब्रजमंडल में किया पुण्य भुक्ति मुक्ति आदि फल प्रदान करता है।

उन्होंने बताया कि इस महीने में ठाकुर के रजत भेष, दानलीला, वामन अवतार लीला, योगी भेष, चूड़ीवाली भेष, सपेरे के भेष, वैद्यराज आदि के भेष में अलग अलग दिन दर्शन होते हैं।

राधारमण मंदिर के सेवायत आचार्य दिनेश चन्द्र गोस्वामी के अनुसार शरदपूर्णिमा पर ठाकुर के चन्द्रप्रभा यानी चन्द्रमा में विराजमान स्वरूप के अनूठे दर्शन वर्ष में केवल एक बार ही होते हैं। संध्या आरती के बाद ठाकुर के सामने रास पंचाध्यायी का पाठ होता हैः-

श्री राधारमणों नृत्यति रासे

उन्होंने बताया कि इस दिन ठाकुर का चन्द्रकला एवं मखाने की खीर का भोग लगता है और ठाकुर विशेष मुकुट धारण करते हैं। राधा दामोदर मंदिर में चूंकि इस्कान के प्रवर्तक भक्ति वेदान्त स्वामी प्रमुपाद को साक्षात ठाकुर के दर्शन हुए थे और उन्हें विशेष ज्ञान प्राप्त हुआ था इसलिए कार्तिक मास में राधा दामोदर मंदिर इस्कान एव चन्द्रोदय मंदिर के विदेशी कृष्णभक्तों की विशेष आराधना का केन्द्र बन जाता है।

इस्कान वृन्दावन के जनसंपर्क अधिकारी रविलोचन दास ने बताया कि कार्तिक मास के शुरू होते ही विदेशी कृष्ण भक्तों की चौरासी कोस ब्रजमंडल परिक्रमा शुरू हो जाती है। इस बार इस परिक्रमा में डेढ़ हजार से अधिक विदेशी कृष्ण भक्त भाग लेंगे।

चन्द्रोदय मंदिर के जनसंपर्क अधिकारी अभिषेक मिश्रा के अनुसार कार्तिक मास में मंदिर के सामने जहां नित्य दीपदान होता है वहीं 16 नवम्बर से त्रिदिवसीय ब्रज संस्कृति पर आधारित भक्तिपूर्ण विशेष कार्यक्रम होगा।

मदन मोहन मंदिर वृन्दावन के सेवायत आचार्य सनातन किशोर गोस्वामी ने बताया कि मंदिर में इस दिन ठाकुर का शरद श्रंगार यानी सफेद पोशाक का श्रंगार होगा तथा मैदा की पूरी और खीर का भोग लगता है। कुल मिलाकर कार्तिक मास में समूचा ब्रजमंडल भक्ति और आराधना का ऐसा केन्द्र बन जाता है कि भक्ति यहां मास पर्यन्त नृत्य करती रहती है।

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