पणजी, 08 नवम्बर (वार्ता) लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज कहा कि संसद लोकतंत्र का मंदिर है तथा सहमति और असहमति जीवंत संसद की पहचान है।
श्री बिरला ने गोवा विधान सभा में 'शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत में संसद की भूमिका, पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाना’ विषय पर विधानमंडल वर्तमान और पूर्व सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि संसद या विधानमंडल में चर्चा में अलग-अलग मत होना लोकतंत्र की पहचान है।
विधायकों की भूमिका और जनादेश को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि विधायकों को आम आदमी को प्रभावित करने वाले विषयों पर विचार करने पर अधिक समय लगाने का प्रयास करना चाहिए और जिन मतदाताओं ने उन्हें निर्वाचित किया है उनका विश्वास जीतना चाहिए।
श्री बिरला ने सभा के कामकाज में अपनाई जा रही नयी तकनीकों और विशेष रूप से कागज रहित होने के प्रयास के लिए राज्य को बधाई दी। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर द्वारा राज्य और देश की प्रगति में किए गए अमूल्य योगदान का उल्लेख भी किया।
लोकसभा अध्यक्ष संबोधन के बाद एक संवादपरक सत्र में अध्यक्ष के रूप में मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने विधानसभा अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल के अनुभवों के बारे में बताते हुए कहा कि यह एक ज्ञानवर्धक अनुभव रहा। अध्यक्ष के रूप में बहुत सम्मान मिला।
विधानसभा उपाध्यक्ष इशीदोर फर्नांडीज ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि इस सत्र से विधायकों को सुशासन के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। विधानसभा अध्यक्ष राजेश पटनेकर ने सभा का स्वागत किया। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री चंद्रकांत कावलेकर और मनोहर अजगांवकर के साथ विपक्ष के नेता दिगम्बर कामत, विधायक, पूर्व विधायक, मंत्री और पूर्व अध्यक्ष उपस्थित थे।
सचिन.श्रवण
वार्ता