Wednesday, Apr 17 2024 | Time 03:47 Hrs(IST)
image
पार्लियामेंट


इससे पहले कंपनी मामलों के राज्य मंत्री पी पी चौधरी ने इस विधेयक को पेश करते हुये कहा कि दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता इस देश के लिए नया है और इसलिए आवश्यकता अनुसार इसमें संशोधन किया जा रहा है। इस वर्ष यह दूसरा संशोधन है। इसमें अब तक सिर्फ ऋणदाताओं के लिए वसूली की व्यवस्था थी लेकिन अब इसमें संशोधन के जरिये रियलटी परियाेजनाओं में आवास खरीदने के लिए निवेश करने वाले भी शामिल किये गये हैं लेकिन प्रक्रिया के दौरान उनका प्रतिनिधि शामिल नहीं होगा। निवेशकों को ध्यान रखा जायेगा। इसी तरह से एमएसएमई के मामलों में भी कुछ संशोधन किये गये हैं।
कांग्रेस के जयराम रमेश ने चर्चा में भाग लेते हुये कहा कि वह इस संशोधन विधेयक का समर्थन करते हैं क्योंकि भारत के लिए यह दिवाला एवं शोधन प्रक्रिया अभी नयी चीज है। उन्होंने कहा कि अब तक दिवाला प्रक्रिया में रिकवरी दर 40 फीसदी रही है जो कुछ सही है लेकिन स्टील के मामलों को छोड़ दिया जाये जो यह दर 30 फीसदी के आसपास रह रही है जो सही नहीं है। इसके लिए बोली लगाने वाली दर और दिवाला प्रक्रिया दर में अंतर को कम करने की जरूरत है।
इस चर्चा में भारतीय जनता पार्टी के महेश पोद्दार, समाजवादी पार्टी के नीरज शेखर, अन्नाद्रमुक के एस आर बालसुब्रमण्यम, जनता दल यूनाइटेड की कहकशां परबीन, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के डी राजा, कांग्रेस के प्रदीप भट्टाचार्य और बहुजन समाज पार्टी के वीर सिंह ने भाग लिया।
अरुण/ शेखर
वार्ता
There is no row at position 0.
image