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पार्लियामेंट


श्री शाह ने कहा कि सदस्यों को राजनीति से उपर उठकर इस विधेयक को सर्वानुमति से पारित कर दुनिया और आतंकवादियों को सख्त संदेश देना चाहिए कि आतंकवाद के मुद्दे पर संसद के दोनों सदन एकजुट हैं। उन्होंने कहा कि अब तक विदेशों में भारतीय हितों के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों के बाद जब हमारी एजेन्सी वहां जाती थी तो उससे पूछा जाता था कि क्या उसे जांच का अधिकार है । इस संशोधन विधेयक के बाद भारतीय जांच एजेन्सी को वहां के कानून के हिसाब से जांच का अधिकार मिल जायेगा। पाकिस्तान के संदर्भ में उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ संधि तो है लेकिन उसने संबंधित कानून नहीं बनाया है लेकिन भारत ने पुलवामा हमले के बाद यह दिखा दिया है कि वह आतंकवाद को कुचलने के लिए घर में घुसकर मार करने में सक्षम है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि एक न एक दिन पाकिस्तान को भी संबंधित कानून बनाना पड़ेगा।
एनआईए कानून के दुरूपयोग की सदस्यों की आशंका का निवारण करते हुए उन्होंने कहा कि मोदी सरकार इसका इस्तेमाल आतंकवाद के खिलाफ करेगी। किसी के खिलाफ गलत मामला दर्ज नहीं किया जायेगा और कानून का किसी भी तरीके से दुरूपयोग नहीं किया जायेगा। कांग्रेस द्वारा एनआईए की कार्यप्रणाली को कमजोर बताये जाने पर उन्होंने कहा कि राजनीति के लिए एजेन्सी की साख पर सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए इसका दुनिया में गलत संदेश जाता है। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि इस कानून की नींव कांग्रेस की सरकार ने ही रखी थी। एनआईए के जांच रिकार्ड का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि 2014 से अब तक उसने 195 मामले दर्ज किये हैं और इनमें से 129 में आरोप पत्र दायर किये गये हैं। इनमें से 44 मामलों में फैसला आया है जिनमें 41 में दोषियों काे सजा हुई। इस तरह का रिकार्ड दुनिया में मिलना मुश्किल है।
समझौता एक्सप्रेस मामले में एनआईए की जांच के बावजूद दोषियों के रिहा होने के कांग्रेस के सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि इस मामले में आरोप पत्र कांग्रेस की सरकार के दौरान ही दायर किया गया था और आरोप पत्र के आधार पर ही केस लड़ा जाता है। उन्होंने कहा कि इस मामले में एजेन्सी ने सात लोगों को गिरफ्तार किया था लेकिन उनकी बजाय केस एक धर्म विशेष के लोगों पर चलाया गया जिनके खिलाफ कोई सबूत नहीं था। सबूतों के अभाव में ये लोग रिहा किये गये हैं। उन्होंने कहा कि समझौता एक्सप्रेस विस्फोट में मारे गये लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा कौन करेगा।
विधेयक में एनआईए को भारतीय हितों के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों की विदेशों में भी जांच करने के अधिकार का प्रावधान किया गया है। साथ ही इसमें अधिसूचित अपराधों के मामलों की सुनवाई के लिए विशेष न्यायालयों के गठन का भी प्रावधान है। विधेयक में एनआईए की जांच का दायरा बढाते हुए उसे आतंकवादी गतिविधियों के अलावा साइबर आतंकवाद, जाली मुद्रा , मानव तस्करी , प्रतिबंधित हथियारों की बिक्री और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम 1908 के तहत मामलों की जांच का भी अधिकार दिया गया है।
संजीव
वार्ता
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