नयी दिल्ली 13 सितंबर (वार्ता) विदेश मंत्रालय से संबद्ध संसदीय स्थायी समिति ने सिक्किम सेक्टर में चीन एवं भूटान से लगते ट्राइजंक्शन क्षेत्र के डोकलाम में चीनी सेना द्वारा किये गये ढांचागत निर्माण पर चिंता जतायी है।
समिति ने ‘भारत-चीन संबंध, डोकलाम, सीमा स्थिति एवं सहयोग’ विषय पर अपनी 22वीं रिपोर्ट चार सितंबर को लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को प्रस्तुत की है। कांग्रेस के शशि थरूर की अध्यक्षता वाली इस 30 सदस्यीय समिति ने 2017 में डोकलाम में चीनी घुसपैठ की आलोचना करते हुए इसे यथास्थिति में बदलाव लाने की एकतरफा कोशिश करार दिया है।
समिति ने कहा कि चीन की कोशिश थी कि भारत-भूटान-चीन सीमा का त्रिपक्षीय क्षेत्र बाटांग ला से हटा कर ग्योगोचेन तक धकेल दिया जाए जिससे भारत के सुरक्षा हितों पर गहरा असर पड़ता और सिलीगुड़ी गलियारे को निशाना बनाने की चीन की क्षमता बढ़ जाती। समिति ने माना कि चीनी सेना की यह हरकत 1988 और 1998 के समझौतों का साफ उल्लंघन थी जिनके मुताबिक जब सीमा पर बातचीत में प्रगति हो रही है तो यथास्थिति में बदलाव नहीं किया जा सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है, “डोकलाम भारत के लिए संप्रभुता का मुद्दा नहीं था क्योंकि विवादित सीमाक्षेत्र भूटान का था लेकिन यह हमारे लिए एक बड़ी सुरक्षा चुनौती थी।” समिति ने भारतीय सेना द्वारा समय पर की गयी बहादुरी भरी कार्रवाई की भूरि भूरि प्रशंसा की जिसने दक्षिण डोकलाम में चीनी सेना को सड़क बनाने से रोक दिया। समिति ने विदेश मंत्रालय के युक्तिपूर्वक कार्य करने और एक टकराव को खूनी संघर्ष में बदलने से रोकने की सराहना की।
डोकलाम में गतिरोध की समूची अवधि में भारत द्वारा भूटान के साथ विभिन्न स्तरों पर निकट संपर्क एवं समन्वय बनाये रखने की सराहना करते हुए समिति ने कहा कि इसने भारत एवं भूटान के बीच समय की कसौटी पर खरे उतरे रिश्तों को और पुख्ता किया। समिति ने यह भी माना कि डोकलाम क्षेत्र में चीनी सेना की गतिविधियां पहली बार नहीं हुईं थी। चीनी सेना बाटांग ला, मेरुगा ला -सिंचेला रिज लाइन को सालों से पार करके भूटान के इलाके में घुसपैठ करती रही है। लेकिन इस बार चीनी सेना यथास्थिति को बदलने के उद्देश्य से घुसी थी क्योंकि उनकी संख्या काफी थी और उनके पास निर्माण के उपकरण भी थे।
समिति को बताया गया कि चीनी सेना ने बाटांग ला, मेरुगा ला, सिंचेला 22 रिज लाइन के पार करीब 25 साल पहले से सड़क बना रखी है। इसी सड़क से चीनी सैनिक गतिरोध वाले स्थान पर पहुंचे थे। चीनी सेना ने बाटांग ला, मेरुगा ला, सिंचेला रिज लाइन पर भूटानी सैनिकों की गैरमौजूदगी का फायदा उठाया था। यह भूटान का संप्रभु क्षेत्र है। समिति ने सरकार को सलाह दी है कि वह उत्तर डोकलाम के विषय पर भूटान के साथ निरंतर संपर्क रखे ताकि दक्षिण डोकलाम में चीनी सेना को सीधे घुसने से रोका जा सके जो ट्राईजंक्शन को बदलने की ताक में है। समिति ने डोकलाम विवाद निपटने के बाद ट्राइजंक्शन के बहुत नज़दीक चीनी सेना के ढांचागत निर्माण पर चिंता जाहिर की है।
विदेश सचिव विजय गोखले ने समिति को बताया कि यह सीमा पर लंबे अरसे बाद सर्वाधिक गंभीर तनाव बना था और यह गतिरोध सबसे लंबे समय तक चला। चीन की ओर से बहुत तीखे राजनीतिक बयान आये। हालांकि दोनों पक्ष इस मसले को बातचीत से सुलझाने में कामयाब रहे। रक्षा सचिव संजय मित्रा ने भी विदेश सचिव की बात से सहमति व्यक्त की कि डोकलाम की घटना एकतरफा रूप से यथास्थिति बदलने का प्रयास थी।
रक्षा सचिव ने कहा कि भारत ने स्पष्ट कर दिया था कि तोरसा नाला और ज़ोम्पेलरी रिज की ओर सड़क के निर्माण की इजाजत नहीं दी जाएगी। यह गतिरोध 72 दिन तक चला। आखिरकार सड़क का काम पूरा नहीं हुआ और बाद में 28 अगस्त 2017 को दोनों सेनाएं हट गयीं। दोनों पक्षों की सेनाओं एवं राजनयिकों द्वारा बहुत परिपक्व रुख अपनाने से ही यह संभव हाे सका।