लखनऊ, 6 नवंबर (वार्ता) पूर्व रणजी खिलाड़ी और उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री मोहसिन रजा ने उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ (यूपीसीए) को भ्रष्टाचार का अड्डा बताते हुये गंभीर आरोप लगाये हैं।
रजा का कहना है कि उत्तर प्रदेश में अपने बच्चे को अगर क्रिकेट खिलाना चाह रहे हैं तो जेब में रुपये होने चाहिए। यहां होनहार होना पर्याप्त नहीं है, अंडर 16 में खेलना है तो छह लाख, अंडर 19 में खेलना है तो 20 लाख और अंडर 23 खेलना है तो 30 लाख और रणजी खेलना है तो 30 से 50 लाख रुपये दीजिए टीम में सेलेक्शन हो जाएगा।
उप्र हज कमेटी के चेयरमैन मोहसिन रज़ा ने ऐसोसिएशन पर युवाओं से धनउगाही, पैसों की हेराफेरी, सरकारी सम्पत्तियों का दोहन समेत कई आरोप लगाए हैं। पूर्व क्रिकेटर मोहसिन रज़ा ने इस संबंध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर यूपीसीए में चल रहे भ्रष्टाचार की शिकायत की है।
मोहसिन रज़ा ने कहा “ उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन का पिछले कुछ वर्षों से स्वरूप बदला गया है। मै पूर्व में क्रिकेटर रहा हूं। इसलिए लोगों ने मुझसे सम्पर्क किया। इन सारी चीजों से अवगत कराया। इस पर आरटीआई के माध्यम से सूचनाएं ली गयीं तो पता चला कि यह वह संस्था है ही नहीं जिसके तहत हम लोग खेला करते थे, इसमें तो बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स हैं।”
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व बीसीसीआई उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला का नाम लिए बगैर मोहसिन रज़ा ने कहा कि इसमें कांग्रेस के बड़े नेता का हाथ है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2005 में कांग्रेस के नेता ने तत्कालीन यूपी क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव ज्योति बाजपेयी का सहारा लेकर आगे बढ़े। एसोसिएशन को प्राईवेट लिमिटेड में बदलकर खुद कब्जा कर लिए और बाजपेयी को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया। जाहिर सी बात है कि कांग्रेस का जैसा चरित्र है, उनके नेता भी वैसे ही करेंगे। इसके बाद प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी बनाकर प्रदेश के युवाओं को गुमराह किया गया।
आरोप है कि कांग्रेस नेता के बेहद करीबी कहे जाने वाला अकरम सैफी सारा खेल करता है। बच्चों को क्रिकेट खिलाने के लिए उनसे पैसे लिए जाते हैं, उनका शोषण किया जाता है। ऐसे ही तमाम प्रकरण सामने आए हैं। अकरम के खिलाफ मुकदमें भी लिखे गए हैं।
पूर्व मंत्री व क्रिकेटर मोहसिन रज़ा ने बताया कि बीसीसीआई ने जब इनसे पूछा कि आपने कम्पनी क्यों बना ली। इस पर इन्होंने कहा कि राज्य सरकार से उनकी नहीं बनती। लिहाजा प्राइवेट लिमिट कम्पनी बना ली। इनका यह दावा भी झूठा साबित हुआ। जिस सरकार से खराब रिश्तों का ज़िक्र किया, उसी सरकार ने कानपुर का ग्रीन पार्क स्टेडियम इन्हीं को तीस साल के लिए लीज़ पर दे दिया। यह सवाल तब उठा जब लोढ़ा कमेटी की रिपोर्ट आई कहा गया कि इसी रिपोर्ट के आधार पर बीसीसीआई और राज्य के सभी क्रिकेट एसोसिएशन चलने थे। यूपी क्रिकेट एसोसिएशन सबसे अलग चल पड़ा।
यूपी क्रिकेट एसोसिएशन लिमिटेड कम्पनी कहती है कि वह नो प्राफिट नो लास पर चलती है। उसकी कोई आय नहीं है। लेकिन 100 करोड़ से अधिक की इनकी आयकर विभाग की देनदारी है। अगर प्राफिट नहीं था तो यह इनकमटैक्स की नोटिस इन्हें क्यों आ गयी। यूपीसीए ने इसके खिलाफ ट्रिब्यूनल में मुकदमा भी किया है।
मोहसिन रज़ा ने आरोप लगाया कि इससे साबित हो गया है कि उप्र क्रिकेट एसोसिएशन बेपटरी हो चुका है। सरकारी सम्पत्तियों का दोहन हो रहा है। बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। उनके साथ अन्याय हो रहा है। चयन प्रक्रिया ध्वस्त हो चुकी है। जिससे प्रतिभावान युवाओं को उनके खेल के आधार पर अवसर नहीं मिल पा रहे हैं। अकरम सैफी नाम का व्यक्ति जो टीम दिल्ली से भेज देता है, वही टीम यहां से भी जारी कर दी जाती है। पूर्व क्रिकेटर ने कहा कि दो बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स पर पैसे के लेनदेन, 420 जैसी धाराओं में मुकदमा पंजीकृत है। इनके टीम सेलेक्टर्स पर भी मुकदमे हैं।
उन्होने कहा “ यूपीसीए के पूर्व और मौजूदा मुख्य कार्यकारी अधिकारी के खिलाफ मुकदमे हैं। इन्हीं प्रकरणों में अकरम सैफी और नेता जी पर भी मुकदमा है। इनकी तमाम शिकायतें आ रही थीं। फिर भी इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसलिए हमने मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ के सामने यह तथ्य रखें हैं। जांच की मांग की है और दोषियों के खिलाफ निष्पक्ष कार्रवाई की मांग की है।”
प्रदीप
वार्ता