नयी दिल्ली.13 मई (वार्ता) मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा है कि अगर कोई कालेज, विश्वविद्यालय या शैक्षिक संस्थान अपने यहाँ स्थाई शिक्षक नहीं रखेंगे तो सरकार उनका अनुदान का हिस्सा नहीं देगी1 श्री जावडेकर ने यूएनआई मुख्यालय में बातचीत करते हुए यह जानकारी दी1 यह पूछे जाने पर कि दिल्ली विश्वविद्यालय एवं अन्य कई शिक्षण संस्थाओं में ठेके पर शिक्षक रखे जा रहे हैं और सालों से वे पढ़ा रहे हैं .ऐसे में शिक्षा की गुणवत्ता कैसे बढ़ेगी,श्री जावेडकर ने कहा,“ हमने ठेके पर शिक्षकों को नियुक्त नहीं किया है हम तो कह रहे है कि आप स्थाई शिक्षकों को नियुक्त करो1 हमें जनादेश तो स्थाई शिक्षक के लिए मिला है1 हमने सरकारी अनुदान को इससे लिंक किया है1 जो संस्थान स्थाई शिक्षक भर्ती करेंगे उन्हें अनुदान का हिस्सा मिलेगा1 हमने गुणवत्ता को भी इससे लिंक किया है1 जिसकी गुणवत्ता अधिक होगी उसे अनुदान अधिक मिलेगा1” यह कहे जाने पर कि शिक्षकों के सातवें वेतन आयोग से सम्बंधित चौहान समिति की रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं की गयी जबकि चड्ढा समिति ने अपनी सिफारिशें सार्वजनिक की थी ,उन्होंने कहा कि यह गलत परम्परा थी और हम उस गलती को नहीं दोहराएंगे1” यह पूछे जाने पर कि क्या पिछले वेतन आयोग के समय चड्ढा समिति ने जो सिफारिशें की थी उससे क्या इस बार अधिक अच्छी सिफारिश की गयी है ,उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि शिक्षक समुदाय को न्याय जरुर मिलेगा1
यह पूछे जाने पर कि शिक्षकों को अब तो पेंशन नहीं मिल रही है ,ऐसे में गुणवत्ता कैसे बढ़ेगी ,श्री जावडेकर ने कहा कि 2004 के बाद तो देश में पेंशन की व्यवस्था ख़त्म हो गयी इसलिए ऐसा हुआ है1 यह कहे जाने पर कि दिल्ली उच्च न्यायलय ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुछ शिक्षकों को पेंशन देने की बात कही है उन्होंने कहा कि 1986 से पहले के शिक्षकों को यह सुविधा मिलेगी1 यह पूछे जाने पर कि शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षकों की अभी भी कमी है ,श्री जावडेकर ने कहा है कि शिक्षकों की कोई कमी नहीं है ,उनका वेतन भी बहुत अच्छा है1 जितने सरकारी स्कूल में छात्र हैं उनसे अधिक शिक्षक है1 लखनऊ में दस हज़ार शिक्षक हैं लेकिन उतने स्कूल नहीं है1 समस्या यह है कि शिक्षक देहात में जाना नहीं चाहते1 यह कहे जाने पर कि स्कूलों में फीस काफी बढ़ रही है और उसकी कोई निश्चित प्रणाली नहीं है तो उन्होंने कहा ,“ गुजरात ने इस बारे में एक कानून बनाया है1 राज्य भी इसे देख रहे हैं। हम भी इस मामले को देखेंगे1 हमारे यहाँ तर्कसंगत फीस की व्यवस्था है 1” उन्होंने कहा,“शिक्षा में निजी निवेश भी जरुरी है निजी स्कूलों का खर्चा भी है1 जनता को इससे स्कूलों का विकल्प मिलेगा1 दो सौ वाली फीस का स्कूल है तो दो हज़ार और दो लाख वाली फीस वाले स्कूल भी हैं लेकिन हम सरकारी स्कूल की गुणवत्ता को बढ़ाएंगे1 अभी महाराष्ट्र, राजस्थान,आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में निजी स्कूलों से छात्र सरकारी स्कूलों में जा रहे हैं1 अरविंद देवेन्द्र वार्ता