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तीन तलाक निषेध कानून का विरोध तुष्टीकरण की राजनीति: शाह

तीन तलाक निषेध कानून का विरोध तुष्टीकरण की राजनीति: शाह

नयी दिल्ली 18 अगस्त (वार्ता) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तीन तलाक (तलाक ए बिद्दत) निषेध करने वाले कानून का विरोध कर रही कांग्रेस और अन्य राजनीतिक पार्टियों की कड़ी निंदा करते हुए रविवार को कहा कि ये वोट बैंक की राजनीति करने के लिए तुष्टीकरण की नीति पर चल रहे हैं।

श्री शाह ने यहां ‘तीन तलाक का अंत’ व्याख्यान देते हुए कहा कि तीन तलाक के पक्ष में बात करने वाले कई तरह के तर्क देते हैं। उसके मूल में ‘वोटबैंक की राजनीति’ और ‘शॉर्टकट’ लेकर सत्ता हासिल करने की ‘पॉलिटिक्स’ है। उन्होंने शहाबानो मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि कुछ राजनीतिक पार्टियों को वोट बैंक के आधार पर सालों साल सत्ता में आने की आदत पड़ गई। इसी वजह से ऐसी कुप्रथाएं इस देश में चलती रहीं हैं। उन्होेंने कहा, “ कोई भी कुप्रथा हो, जब उसे निर्मूल किया जाता है तो उसका विरोध नहीं होता बल्कि उसका स्वागत होता है लेकिन तीन तलाक कुप्रथा को हटाने के खिलाफ इतना विरोध हुआ। इसके लिए तुष्टीकरण की राजनीति, उसका भाव जिम्मेदार है।”

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जो तीन तलाक के पक्ष में खड़े हैं और जो इसके विरोध में खड़े हैं, उन दोनों के ही मन में इसको लेकर कोई संशय नहीं है कि तीन तलाक एक कुप्रथा है। यह सर्वविदित है कि तीन तलाक प्रथा करोड़ों मुस्लिम महिलाओं के लिए एक दुस्वप्न जैसी थी। यह उनको अपने अधिकारों से वंचित रखने की प्रथा थी। उन्होंने कहा कि तीन तलाक निषेध से संबंधित कानून वास्तव में मुस्लिम महिलाओं के सशक्तिकरण का उपाय है। इससे उन्हें अपना अस्तित्व और पहचान बनाने में मदद मिलेगी। यह कानून मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का संरक्षण करता है। उन्होंने भारतीय मुस्लिम महिला संगठन के एक सर्वेक्षण का उल्लेख करते हुए कहा कि देश 92.1 प्रतिशत महिलायें तीन तलाक की कुप्रथा से मुक्ति चाहती हैं।

श्री शाह ने परिवारवाद, जातिवाद और तुष्टिकरण को भारतीय राजनीति का नासूर करार देते हुए कहा कि वर्ष 2014 में इस देश की जनता ने श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत देकर तुष्टीकरण की राजनीति के अंत की शुरूआत कर दी। कांग्रेस ने जो राजनीति 60 के दशक के बाद शुरू की और बाकी दलों ने भी उसका अनुसरण किया, उसका असर देश के लोकतंत्र, सामाजिक जीवन और गरीबों के उत्थान पर पड़ा है।

उन्होेंने सरकार के नीतियों का उल्लेख करते हुए कहा, “ जो अभाव में जी रहा है, जो गरीब-पिछड़ा, वह किसी भी धर्म का हो। विकास के दौर में जो पिछड़ गया है, उसे ऊपर उठाओ, वह अपने आप समाज सर्वस्पर्शी-सर्वसमावेशी मार्ग पर आगे बढ़ जाएगा।” उन्होंने कहा कि जो लोग समाज के विकास की परिकल्पना लेकर जाते हैं तो उसके लिए मेहनत करनी पड़ती है, याेजना बनानी पड़ती है। इसके लिए मन में वोटों का लालच नहीं, संवेदना चाहिए। उन्होंने कहा कि

इस देश के विकास और सामाजिक समरसता के आड़े भी तुष्टीकरण की राजनीति आई है।

गृह मंत्री ने कहा कि बगैर तुष्टीकरण यह सरकार समविकास, सर्वस्पर्शी विकास, सर्वसमावेशी विकास के आधार पर पांच साल चली। इसी के आधार पर वर्ष 2019 में इस देश की जनता ने तुष्टीकरण से देश को हमेशा के लिए मुक्त करने के लिए सरकार को दोबारा बहुमत दिया। इसी बहुमत के आधार पर भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार ने तीन तलाक की कुप्रथा को खत्म करने का काम किया है। तुष्टीकरण की राजनीति के मूल पर आघात करने की जरूरत है।

श्री शाह ने समाज सुधारक राजा राममोहन राय, ज्योतिबा फूले, महात्मा गांधी और डा. भीमराव अम्बेडकर का उल्लेख करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने बड़े साहस के साथ कई कठिनाईयों को पार करते हुए तीन तलाक कुप्रथा का अंत किया है। इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम समाज सुधारकों की श्रेणी में शामिल हो गया है।

 

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