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लोकरुचि


कभी गरीबों का भोजन रहा बाटी चोखा, अब शाही भोजन की पहचान

कभी गरीबों का भोजन रहा बाटी चोखा, अब शाही भोजन की पहचान

देवरिया, 13 जुलाई (वार्ता) कभी अभावग्रस्त पूर्वी उत्तर प्रदेश और पड़ोसी राज्य बिहार के कुछ जिलों के गरीबों का मुख्य भोजन रहा बाटी-चोखा अब बदलते जमाने में शाही लोगों का पसन्दीदा भोजन बनता जा रहा है। प्रदेश के अभावग्रस्त देवरिया, गोरखपुर, बलिया, मऊ, गाजीपुर, बस्ती, कुशीनगर आदि समेत बिहार के जिलों सीवान, छपरा, गोपालगंज, पश्चिम चम्पारण आदि जिलों में बाटी चोखा गरीब तपके का मुख्य भोजन हुआ करता था। बदलते जमाने में गरीबों का यह भोजन बड़े-बड़े लोगों का शाही भोजन बन गया है। अब तो साधारण बाटी चोखा शादी ब्याह के पार्टियों के साथ बड़े लोगों का शौकिया भोजन बनता जा रहा है। इसे पहले गरीबों का मुख्य भोजन कहा जाता था। गांव के गरीब लोग कण्डे को जलाकर उस पर बाटी चोखा तैयार कर अपनी क्षुधा को शान्त कर लेते थे। बलिया निवासी राजेन्द्र सिंह ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चन्द्रशेखर बाटी चोखा के शौकीन थे। उन्होंने गरीबों के इस भोजन को पूर्वी उत्तर प्रदेश से ले जाकर देश की राजधानी दिल्ली तक बड़े-बड़े लोगों को इसका रसपान करवाया था। स्व. चन्द्रशेखर अपने यहां महीने-दो महीने पर राजधानी में बड़े बड़े लोगों को बाटी चोखा की दावत देते रहत थे।


स्वास्थ्य के द्दष्टिकोण से इस भोजन को हितकर माना जाता है। यह सुपाच्य है। इसको बनाने के लिये गोबर के कण्डे को जलाकर आटे की लोई को गोल-गोल बनाकर आग में हल्की आंच पर शेका जाता है और इसी आग में आलू भूनकर चोखा तैयार करते हैं। इस सादे भोजन में न तो मसाले का प्रयोग होता है और न ही अधिक तेल आदि का। पहले गरीब कम लागत में अपना भोजन तैयार करते थे, लेकिन बदलते माहौल में बाटी चोखा का स्वरूप भी बदलने लगा है। शाही लोग इसे अब शाही विधि विधान से बनवाने लगे हैं। जहां पहले गरीब आलू का चोखा नमक और मिर्च डालकर बनाते थे। अब यह बाटी के साथ कयी प्रकार के मिक्स चोखे के साथ घी का प्रयोग भी शाही बाटी चोखे में होने लगा है। अब तो यह बाटी चोखा शादी-विवाह के भोजन में मुख्य डिश बनता जा रहा है। देवरिया शहर में करीब बाटी चोखा की 25 से अधिक दुकाने खुली हैं, जहां लोग शौकिया तौर पर भोजन करते दिखाई पड़ते हैं। बाटी चोखा के दुकानदार रामलाल ने बताया “हमारे दुकान पर गरीब से लेकर बड़े लोग बाटी चोखा खाने आते हैं। दिन में ऐसे लोग आते हैं जो कम पैसे में अपनी भूख शांत करते हैं, लेकिन रात के समय गरीब लोगों के साथ बडे बडे शौकिया लोग आते हैं जो अपने दोस्तों के साथ आकर भोजन करते हैं।” सं भंडारी राज वार्ता

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