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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी


हल्दी में विद्यमान तत्व दिमागी मलेरिया के इलाज में हो सकता है रामबाण : प्रो पद्मनाभन

हल्दी में विद्यमान तत्व दिमागी मलेरिया के इलाज में हो सकता है रामबाण : प्रो पद्मनाभन

लखनऊ 27 मार्च (वार्ता) बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान के पूर्व निदेशक पद्मभूषण प्रो0 पद्मनाभन ने आज कहा कि हल्दी में विद्यमान एक तत्व मलेरिया विशेषकर दिमागी मलेरिया के इलाज में रामबाण का काम कर सकता है। केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान के वार्षिक समारोह को संबोधित करते हुए प्रो पद्मानाभन ने आज यहां कहा कि हल्दी में विद्यमान एक तत्व मलेरिया विशेषकर दिमागी मलेरिया के इलाज में रामबाण का काम कर सकता है जिसके लिए जरूरी शोध और वैश्विक मान्यता दिलाना आवश्यक है। उन्होने कहा कि विज्ञान को लोगों तक पहुंचाना होगा तभी इसकी सार्थकता होगी। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि विज्ञान की गुणवत्ता पर कोई भी समझौता न हो। इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डॉ अनिल कुमार त्रिपाठी ने बताया कि संस्थान ने उत्तर प्रदेश के सूखाग्रस्त बुंदेलखंड के लिए लेमन ग्रास की प्रजाति विकसित की है। इस घास पर सूखे का कोई असर नही होता है। उन्होने कहा कि जम्मू कश्मीर में एक परियोजना के अधीन बंजर पड़े काफी बड़े इलाके में सुगंध युक्त पौधों की खेती शुरू कराई गई। साथ ही डिस्टीलेशन की सुविधा भी प्रदान की गई।


डॉ त्रिपाठी ने बताया कि केंद्रीय औषधीय एवं सुगंध पौधा संस्थान एक ऐसी परियोजना पर काम कर रहा है जिसके अधीन देश भर में साढ़े पांच हजार से छह हजार हेक्टेयर क्षेत्र में चुनी हुई सुगंध युक्त पादप प्रजातियों की खेती को बढ़ावा दिया जा सके। यह परियोजना देश में एक उदाहरण प्रस्तुत कर सकेगी तथा इसकी उत्प्रेरणा से भविष्य में देश भर में 50 से 60 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सुगंध युक्त पौधों की खेती कराई जा सकेगी। उन्होंने बताया कि संस्थान ने अपने पिछले स्थापना दिवस पर जड़ी-बूटी से तैयार खांसी का सिरप प्रस्तुत किया जो बिना नींद लाए एलर्जी जनित खांसी में लाभ पहुंचाता है। जड़ी बूटी से तैयार मच्छर भगाने की दवा तैयार की गई है जो काफी पसंद की जा रही है। उत्तर पूर्व के क्षेत्रों में इस दवा में इस्तेमाल की जाने वाली जड़ी बूटियों की खेती को बढ़ावा देने पर ध्यान दिया जा रहा है। केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान के निदेशक ने बताया पिछले एक वर्ष के दौरान संस्थान के वैज्ञानिकों के 95 शोध पत्र प्रकाशित हुए जबकि तीन पेटेंट दाखिल किए गए। संस्थान की ओर से खस, मेंथाल तथा अन्य सुगंधित तेल युक्त पौधों की चार नई प्रजातियां विकसित की गईं जबकि अनेक वैज्ञानिकों को उनके योगदान के लिए पुरस्कार तथा मान्यताएं प्रदान की गईं। केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान के स्थापना दिवस समारोह में आज अनेक वैज्ञानिकों को शोध के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया। संस्थान द्वारा आयोजित औषधीय एवं सुगंधियुक्त पौधों की फोटो प्रतियोगिता के विजेताओं को भी पुरस्कृत किया गया। संस्थान द्वारा आज मुहासों को दूर करने के लिए जड़ी बूटी से तैयार दवा भी लांच की गई। भंडारी प्रदीप सिंह वार्ता

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