नयी दिल्ली 14 अगस्त (वार्ता) राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का 73 वें स्वाधीनता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संबोधन का मूलपाठ इस प्रकार है ...
यह स्वाधीनता दिवस भारत-माता की सभी संतानों के लिए बेहद खुशी का दिन है, चाहे वे देश में हों या विदेश में। आज के दिन हम सभी को देशप्रेम की भावना का और भी गहरा अनुभव होता है। इस अवसर पर, हम अपने उन असंख्य स्वतन्त्रता सेनानियों और क्रांतिकारियों को कृतज्ञता के साथ याद करते हैं, जिन्होंने हमें आज़ादी दिलाने के लिए
संघर्ष, त्याग और बलिदान के महान आदर्श प्रस्तुत किए।
स्वाधीन देश के रूप में 72 वर्षों की हमारी यह यात्रा, आज एक खास मुकाम पर आ पहुंची है। कुछ ही सप्ताह बाद, दो अक्टूबर को, हम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाएंगे। गांधीजी, हमारे स्वतंत्रता संग्राम के महानायक थे। वे समाज को हर प्रकार के अन्याय से मुक्त कराने के प्रयासों में हमारे मार्गदर्शक भी थे। गांधीजी का मार्गदर्शन आज भी उतना ही प्रासंगिक है। उन्होंने हमारी आज की गंभीर चुनौतियों का अनुमान पहले ही कर लिया था। गांधीजी मानते थे कि हमें प्रकृति के संसाधनों का उपयोग विवेक के साथ करना चाहिए ताकि विकास और प्रकृति का संतुलन हमेशा बना रहे। उन्होंने पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता पर ज़ोर दिया और प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाकर जीवन जीने की शिक्षा भी दी। वर्तमान में चल रहे हमारे अनेक प्रयास गांधीजी के विचारों को ही यथार्थ रूप देते हैं। अनेक कल्याणकारी कार्यक्रमों के माध्यम से हमारे देशवासियों का जीवन बेहतर बनाया जा रहा है। सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाने पर विशेष ज़ोर देना भी गांधीजी की सोच के अनुरूप है।
2019 का यह साल, गुरु नानक देवजी का 550वां जयंती वर्ष भी है। वे भारत के सबसे महान संतों में से एक हैं। मानवता पर उनका प्रभाव बहुत ही व्यापक है। सिख पंथ के संस्थापक के रूप में लोगों के हृदय में उनके लिए जो आदर का भाव है, वह केवल हमारे सिख भाई-बहनों तक ही सीमित नहीं है। भारत और पूरी दुनिया में रहने वाले करोड़ों श्रद्धालु उन पर गहरी आस्था रखते हैं। गुरु नानक देवजी के सभी अनुयायियों को मैं इस पावन जयंती वर्ष के लिए अपनी हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं।
अरविंद अरुण
जारी वार्ता