नयी दिल्ली/काठमांडू, 27 मई (वार्ता) नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ 31 मई से 03 जून तक भारत की आधिकारिक यात्रा पर रहेंगे। यात्रा के दौरान विभिन्न द्विपक्षीय सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किये जायेंगे।
पिछले साल दिसंबर में कार्यभार संभालने के बाद श्री दहल की यह पहली द्विपक्षीय विदेश यात्रा है। वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निमंत्रण पर भारत आ रहे है।
नेपाल के विदेश मंत्रालय के अनुसार, श्री दहल के साथ उनकी बेटी, गंगा दहल और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति और उच्च पदस्थ अधिकारी आयेंगे।
प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि प्रधानमंत्री के साथ उनकी बेटी गंगा दहल भी होंगी। प्रधानमंत्री के दल में नेपाल सरकार के मंत्री, सचिव और वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे।
नेपाली मीडिया के मुताबिक श्री दहल के अप्रैल में ही भारत दौरे की तैयारियां हो चुकी थीं, लेकिन आखिरी समय पर यात्रा रद्द कर दी गई। संभावित यात्रा कार्यक्रम के अनुसार, प्रधानमंत्री श्री दहल 31 मई को नई दिल्ली पहुंचेंगे। विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल उनका स्वागत करेंगे।
यात्रा के दौरान, श्री दहल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से मुलाकात करेंगे और भारत और नेपाल के बीच द्विपक्षीय साझेदारी के विविध क्षेत्रों पर चर्चा करने के लिए प्रधानमंत्री श्री मोदी के साथ व्यापक बातचीत करेंगे। बैठक के बाद दोनों देशों के बीच विभिन्न सहयोग समझौते होंगे।
मंत्रालय ने कहा कि श्री दहल नयी दिल्ली में नेपाल-भारत व्यापार शिखर सम्मेलन को भी संबोधित करेंगे। सम्मेलन नेपाली चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एफएनसीसीआई) और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जाएगा।
बयान में कहा गया है कि आधिकारिक कार्यक्रमों के अलावा श्री दहल अपनी यात्रा के तहत उज्जैन और इंदौर भी जाएंगे।
बयान में कहा गया है कि श्री दहल की यह यात्रा हमारी 'पड़ोसी पहले' नीति को आगे बढ़ाने में भारत और नेपाल के बीच नियमित रूप से उच्च स्तरीय आदान-प्रदान की परंपरा को जारी रखती है। सहयोग के सभी क्षेत्रों में पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध काफी मजबूत हुए हैं। यह यात्रा द्विपक्षीय साझेदारी को और गति देने में दोनों पक्षों द्वारा दिए गए महत्व को रेखांकित करती है।
बयान में यह भी कहा गया है कि उनकी भारत यात्रा द्विपक्षीय हितों को बढ़ावा देने, संबंधों को बढ़ाने और सीमा से संबंधित और अन्य मुद्दों को हल करने पर केंद्रित होगी।
जांगिड़
वार्ता