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मंत्रिमंडल की बैठक में कहा गया कि पंजाब सरकार के राज्य की वित्तीय मजबूती के लिए पिछले तीन सालों के दौरान लगातार किये गंभीर प्रयासों को लॉकडाउन ने गहरी चोट पहुंचाई है। केंद्र सरकार के पास और ज्यादा वित्तीय स्रोत /शक्तियां हैं जबकि राज्य सरकार के पास ऐसे साधन बहुत सीमित हैं खासकर जीएसटी लागू होने के बाद।
पंजाब सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि सामान्य वर्ग की श्रेणी के राज्यों में पंजाब ऐसा राज्य है जिस पर कर्ज का भार सबसे ज्यादा है। पंजाब पर राज्य के सकल घरेलू उत्पाद की 40.7 फीसदी अनुपात के हिसाब से कर्ज बकाया है, जोकि महाराष्ट्र (17.9 फीसदी), कर्नाटक (18.2 फीसदी), गुजरात (20.2 फीसदी), तामिलनाडु (22.3 फीसदी), आंध्र प्रदेश (28.9 फीसदी), केरल (30.9 फीसदी) और पश्चिमी बंगाल (37.1 फीसदी) राज्यों की अपेक्षा काफी ज्यादा है। राज्य ने पिछले तीन सालों के दौरान कर्ज /सकल घरेलू उत्पाद का अनुपात घटाने के लिए निरंतर प्रयास किये हैं। यह 2016-17 में 42.75 फीसदी था जो 2017-18 में 40.77 फीसदी रह गया और 2018-19 में घटकर 40.61 पर पहुंच गया और 2019-20 में घटकर 39.83 फीसदी रह गया।
महेश विजय
वार्ता
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