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पंजाब के छह जिलों को मिलेगी पाइप्ड नैचुरल गैस

पंजाब के छह जिलों को मिलेगी पाइप्ड नैचुरल गैस

जालंधर 20 नवंबर (वार्ता) केन्द्र सरकार द्वारा ऊर्जा आपूर्ति में गैस का योगदान बढ़ाने के लिए हरित ईंधन को बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जा रहा है। इसी योजना के तहत पंजाब के छह जिलों का 12 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल कवर किया जाएगा।

गैस इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास एवं विपणन में सक्रिय कंपनी थिंक गैस परियोजना के वरिष्ठ उपाध्यक्ष जसबीर सिंह ने मंगलवार को बताया कि इसी वर्ष अप्रैल में लॉन्च किए गए नौवें गैस वितरण बोली चक्र के अंतर्गत केन्द्र सरकार ने 22 राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों के 174 जिलों में फैले 86 भोगौलिक क्षेत्रों के लिए शहरी गैस वितरण विकास अधिकार उपलब्ध कराए हैं। उन्होंने बताया कि थिंक गैस को सीजीडी नेटवर्क के विकास एवं संचालन के लिए लुधियाना, बरनाला, मोगा, जालंधर, कपूरथला और एसबीएस नगर में कुल 12 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल कवर करने का अधिकार मिला है। इसके अतिरिक्त कंपनी को मध्य प्रदेश में भोपाल और राजगढ़ के नौ हजार वर्ग किलोमीटर और बिहार के बेगुसराय में दो हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल को कवर करने का भी अधिकार मिला है।

श्री सिंह ने बताया कि सीजीडी परियोनाओं के तहत घरों में खाना पकाने एवं अन्य घरेलू इस्तेमाल के लिए पाइप्ड नैचुरल गैस (पीएनजी), वाहनों के लिए कम्प्रेस्ड नैचुरल गैस (सीएनजी) और उद्योगों एवं कॉमर्शियल संगठनों के लिए नैचुरल गैस (एनजी) की आपूर्ति की जाएगी। उन्होंने बताया कि शहर में निकलने वाले कचरे से भी गैस तैयार कर पीएनजी द्वारा घरों को आपूर्ति की जाएगी।

उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 22 नवंबर को विज्ञान भवन दिल्ली से रिमोट के जरिए इस परियोजना का उद्घाटन करेंगे जिसके पश्चात पाइप लाइन बिछाने का कार्य शुरू किया जाएगा। श्री सिंह ने बताया कि परियोजना पर अगले दो वर्षों में कार्य पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि घरों में कनेक्शन देने के लिए प्रति कनेक्शन पांच हजार रुपये सिक्योरिटी मनी जमा करवाई जाएगी तथा एक हजार रुपये गैस की अग्रिम राशि ली जाएगी।

श्री सिंह ने बताया कि उपरोक्त नौ जिलों में अगले 25 वर्षों की अवधि में लगभग 11़ 2 मिलियन टन कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन कम होगा। पीएनजी प्रदूषण रहित, किफायती एवं सुरक्षित ईंधन है। यह पेट्रोल एवं डीजल की तुलना में पर्यावरण के लिए अधिक अनुकूल है। हवा से हल्की होने के कारण रिसाव होने पर यह ऊपर की ओर तैरती है जिससे आग की दुर्घटनाओं का जोखिम कम हो जाता है।

 

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