नयी दिल्ली, 10 अप्रैल (वार्ता) उच्चतम न्यायालय ने राफेल लड़ाकू विमान सौदा मामले में बुधवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में ‘विशिष्ट एवं गोपनीय’ दस्तावेजों पर केंद्र सरकार के विशेषाधिकार के दावे को खारिज कर दिया और पुनर्विचार याचिकाओं की योग्यता के आधार पर सुनवाई करने का निर्णय लिया।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ की पीठ ने सर्वसम्मति के फैसले में केंद्र की आपत्तियों को खारिज करते हुए कहा कि एेसे दस्तावेज अदालत में सुनवाई के लिए मान्य हैं। पीठ ने कहा कि पुनर्विचार याचिकाओं की सुनवाई योग्यता के आधार पर की जायेगी और इसके लिए नयी तारीख मुकर्रर की जायेगी।
न्यायमूर्ति गोगोई ने अपनी ओर से और न्यायमूर्ति कौल की ओर से फैसला सुनाया, जबकि न्यायमूर्ति जोसेफ ने अलग से अपना फैसला पढ़ा, हालांकि दोनों फैसले सहमति के थे।
खंडपीठ ने गत 14 मार्च को केंद्र की प्रारम्भिक आपत्तियों पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। केंद्र सरकार की प्रारम्भिक आपत्ति थी कि क्या शीर्ष अदालत पुनरीक्षण याचिका दायर करने वालों की ओर से उपलब्ध कराये गये एेसे विशेष एवं गोपनीय दस्तावेजों पर सुनवाई कर सकती है, जो अवैध रूप से हासिल किये गये हों?
पूर्व केंद्रीय मंत्रियों अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा तथा जाने माने वकील प्रशांत भूषण ने राफेल लड़ाकू विमान सौदा मामले में न्यायालय के गत वर्ष 14 दिसम्बर को दिये फैसले की समीक्षा के लिए याचिकाएं दायर की थीं, जिनमें उन्होंने कई ऐसे दस्तावेज संलग्न किये थे जो केंद्र सरकार की दृष्टि से विशेष श्रेणी के एवं गोपनीय हैं।
केंद्र के सबसे बड़े विधि अधिकारी एटर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने राफेल लड़ाकू विमानों से संबंधित दस्तावेजों पर सरकार के विशेषाधिकार का दावा करते हुए दलील दी थी कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 123 के तहत इन दस्तावेजों को साक्ष्य के रूप में पेश नहीं किया जा सकता। उन्होंने दलील दी थी कि ये दस्तावेज सरकारी गोपनीयता कानून के तहत संरक्षित दस्तावेजों की श्रेणी में शामिल हैं और संबंधित विभाग की अनुमति के बगैर इन्हें पेश नहीं किया जा सकता।
श्री वेणुगोपाल ने कहा था कि कोई भी व्यक्ति राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े दस्तावेज प्रकाशित नहीं कर सकता, क्योंकि राष्ट्र की सुरक्षा सर्वोपरि है।
सुरेश उनियाल
जारी वार्ता