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आत्मनिर्भरता का मॉडल बन रहा राजभवन-टंडन

आत्मनिर्भरता का मॉडल बन रहा राजभवन-टंडन

भोपाल, 7 जून (वार्ता) मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने कहा कि राजभवन आत्मनिर्भरता का मॉडल बन रहा है।

आधिकारिक जानकारी के अनुसार श्री टंडन ने राजभवन के न्यूज लेटर ‘प्रवाह’ के नए अंक का आज अवलोकन करते हुए कहा कि न्यूज लेटर के आगामी अंक में राजभवन में कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन और कचरा प्रबंधन के कार्यों को संकलित किया जाये। इससे लोगों को आत्मनिर्भरता के मॉडल को अपनाने की प्रेरणा और प्रोत्साहन मिलेगा।

श्री टंडन ने कहा कि राजभवन द्वारा कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन और कचरा प्रबंधन में आत्मनिर्भरता प्राप्त की है। सब्जी, उद्यानिकी, पशुपालन और जैविक बजट खेती के द्वारा अधिक उत्पादन, कम लागत वाली रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक प्रभाव मुक्त उत्पादन पद्धति का व्यवहारिक रूप तैयार किया गया है। अब राजभवन की दुग्ध, सब्जी, खाद और कीटनाशक उत्पादों की सभी आवश्यकताओं की पूर्ति राजभवन के परिसर के उत्पादनों ही होने लगी है।

इसी तरह ग्रामीण परिवार भी कृषि के साथ पशुपालन, जैविक खाद और कीटनाशकों का निर्माण करके आत्मनिर्भर हो सकते हैं। अपनी आय को दो गुने से अधिक कर सकते हैं। रासायनिक खाद और कीटनाशक भूमि और स्वास्थ्य दोनों के लिए अत्यंत हानिकारक होते हैं। इनका उपयोग बंद किया जाना चाहिए। राजभवन में कचरे का उपयोग कर कई तरह की जैविक खाद और कीटनाशक तैयार कर, उनका उपयोग खेती में हो रहा हैं। राजभवन में रासायनिक कीटनाशक और खाद का उपयोग प्रतिबंधित हो गया है।

उन्होंने कहा कि राजभवन की गौशाला में भी नस्ल सुधार का कार्य तेजी से किया जा रहा है। इसको भी लोगों तक पहुंचाया जाना चाहिए। देसी नस्ल की गाय जहां वर्ष में तीन-चार महीने तक तीन से चार लीटर रोज दूध देती हैं। इन गायों में उन्नत नस्ल की भारतीय गायों के भ्रूण प्रत्यारोपित कर, उन्हें वर्ष में 8 से 10 माह तक दूध देने और प्रतिदिन 10 से 20 लीटर तक दूध उत्पादन क्षमता वाली गायें तैयार की जा सकती हैं। इस दिशा में राजभवन की गौशाला में सफल पहल हुई है।

उन्होंने कहा कि राजभवन की गोशाला में प्रदेश में उपलब्ध राजस्थान की उन्नत दुग्ध उत्पादक नस्ल की एकमात्र गाय राठी के भ्रूणों का प्रत्यारोपण देसी नस्ल की मालवी गायों में किया गया है। इनसे पैदा होने वाली बछिया उन्नत नस्ल की अधिक दुग्ध उत्पादक गाय बनेगी। उन्होंने बताया कि तीन सालों के चक्र में देसी नस्ल को उन्नत नस्ल में बदला जा सकता है। इस कार्य को विस्तृत कर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया जा सकता है।

विश्वकर्मा

वार्ता

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