राज्य » राजस्थानPosted at: Mar 6 2020 2:43PM राजस्थान विधानसभा की कार्यवाही हंगामें के कारण एक घंटा स्थगित
जयपुर 06 मार्च (वार्ता) राजस्थान विधानसभा में आज किसानों को मुआवजा देने को लेकर विपक्ष के सदस्यों के हंगामे के कारण आज सदन की कार्यवाही एक घंटा स्थगित कर दी गई।
प्रश्नकाल शुरु होते ही कृषि मंत्री लाल चंद कटारिया ने विधायक वासुदेव देवनानी के मूल प्रश्न “प्रदेश के किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत देय लाभ” पर विधायकों के पूरक प्रश्नों का जवाब दिया लेकिन विपक्ष भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य उनके जवाब से संतुष्ट नहीं हुए और वेल में आ गये। भाजपा सदस्य वेल में आकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे।
करीब चार-पांच मिनट तक हुए हंगामें और नारेबाजी के दौरान विपक्षी सदस्यों ने सरकार के खिलाफ हाय-हाय, सरकार निक्कमी हैं एवं मुख्यमंत्री इस्तीफा दो आदि नारे लगाये। इस दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलाेत सदन में मौजूद थे। इससे अगला प्रश्न मकराना विधायक रुपाराम का था, अध्यक्ष डा सी पी जोशी ने प्रश्न के लिए श्री रुपाराम का नाम पुकारा लेकिन हंगामे के कारण उन्होंने प्रश्न ही नहीं उठाया। इस पर डा जोशी ने अगला प्रश्न पुकार लिया और हंगामा चलता रहा। हंगामें के बीच ही सहकारिता मंत्री उदय लाल आंजना ने विधायक सुरेश टाक के प्रश्न का जवाब दिया।
इस बीच अध्यक्ष ने हस्तक्षेप कर प्रश्न की गंभीरता का हवाला देते हुए विपक्षी सदस्यों से अपनी जगह पर जाने का अनुरोध किया, इसके बाद विपक्षी सदस्य अपनी जगहों पर आ गये और प्रतिपक्ष नेता गुलाब चंद कटारिया बोलने लगे और कहा कि जब से बजट सत्र शुरु हुआ है तब से यह चौथी बार प्रश्न लगाया गया है और जब तक केन्द्र सरकार पैसा जमा नहीं करायेगी तब तक किसानों को भुगतान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि चौदह सौ करोड़ रुपए केन्द्र सरकार ने जमा करा दिये गये लेकिन राज्य सरकार ने राज्यांश नहीं दिया। किसानों ने भी बीमा के पैसे जमा करा दिये लेकिन सरकार ने नहीं कराये और किसानों को पैसा नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि इसमें किसान का क्या दोष है कि सरकार के समय पर किश्त जमा नहीं कराने का खामियजा किसान को उठाना पड़ रहा है।
इस दौरान मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के विधायक बलवान पूनियां खड़े हो गये और भाजपा सदस्यों पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाने लगे। इस पर श्री पूनियां और भाजपा सदस्य आमने सामने हो गये और जोर जोर से बोलने से फिर सदन में जोरदार हंगामा हुआ। अध्यक्ष ने सदस्यों से शांत हो जाने के लिए काफी अनुरोध किया लेकिन हंगामा शांत नहीं होता देख उन्होंने ग्यारह बजकर अठारह मिनट पर सदन की कार्यवाही एक घंटे के लिए स्थगित कर दी। सदन की कार्यवाही एक घंटा स्थगित हो जाने से आज एक घंटे का प्रश्नकाल केवल अठारह मिनट ही चल पाया और केवल दो प्रश्न ही उठा पाये।
जोरा
वार्ता