जयपुर 30 जून (वार्ता) राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बिजली को विकास की धुरी बताते हुये कहा है कि राज्य को बिजली के क्षेत्र में पूर्ण आत्मनिर्भर बनाना है जिससे इसका लाभ किसान, उद्योग, गांव और ढाणी के जन-जन को मिले।
श्री गहलोत ने रविवार को बारां जिले के उपखंड छबड़ा में स्थित तापीय विद्युत संयंत्र की दो इकाइयों के लोकार्पण करते हुए कहा कि जापान की आधुनिक सुपर क्रिटिकल तकनीक पर आधारित छबड़ा तापीय विद्युत संयंत्र में दो नई इकाइयों के प्रारंभ होने से इस संयंत्र की विद्युत उत्पादन क्षमता बढ़कर 2320 मेगावाट हो गई है। इससे राज्य के 78 लाख नये उपभोक्ताओं को लाभान्वित किया जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि आजादी के समय राज्य में 13 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता था, जो वर्तमान में 22 हजार मेगावाट हो गया है। इस संयंत्र में राज्य विद्युत उत्पादन निगम का हिस्सा 7277.35 मेगावाट है। श्री गहलोत ने कहा कि राज्य में सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा के क्षेत्र में अपार संभावनाएं मौजूद हैं और राज्य सरकार इन संसाधनों का समुचित उपयोग करके वर्ष 2021-22 तक राज्य को विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में मांग से अधिक की स्थिति में लाने के लिए प्रयासरत है।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए ऊर्जा मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला ने कहा कि उद्योग लगाने के लिए भूमि, पूंजी, साहस के साथ-साथ विद्युत की भी आवश्यकता रहती है। राज्य सरकार ने अपने छह महीने के अल्पकाल में विद्युत उत्पादन में 1793 मेगावाट की वृद्धि की है। हम इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि श्री गहलोत ने कृषि विद्युत कनेक्शन की दरों में बढ़ोतरी नहीं करने तथा एक लाख नये विद्युत कृषि कनेक्शन देने का निर्णय लिया है। इससे राज्य के किसान निश्चित तौर पर लाभान्वित होंगे।
डा0 कल्ला ने कहा कि राज्य सरकार ने छबड़ा एवं कालीसिन्ध तापीय परियोजनाओं के विनिवेश का फैसला रद्द करते हुए इन परियोजनाओं को राज्य सरकार के उपक्रम के तौर पर चलाने का निर्णय भी लिया है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार नागरिकों को 24 घण्टे गुणवत्तापूर्ण बिजली देने के लिए संकल्पबद्ध है।
समारोह को नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल तथा खान एवं गोपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया ने भी संबोधित किया।