नई दिल्ली 21 सितम्बर (वार्ता) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राजा रणधीर सिंह को ओलंपिक काउंसिल ऑफ एशिया (ओसीए) का अध्यक्ष चुने जाने पर बधाई एवं शुभकामनायें प्रेषित की हैं।
सिंह ने रणधीर सिंह के आवास जाकर पहली बार किसी भारतीय को पद पर निर्वाचित होने के लिए बधाई व शुभकामनाएं दी और खेल जगत में उनके पांच दशक से ज्यादा सक्रिय योगदान और उपलब्धियों पर खुशी का इजहार किया। इस मौके पर वोवीनाम एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष प्रवीण गर्ग उपस्थित रहे।
77 वर्षीय अर्जुन अवॉर्डी ने 1968 से 1984 के बीच पांच बार ओलंपिक खेलों में प्रतिभाग किया और चार बार एशिया खेलों में भी हिस्सा लेकर ट्रैप शूटिंग में 1978 में स्वर्ण पदक भी हासिल किया। उन्होने 1987 में भारतीय ओलंपिक संघ में महासचिव के रूप में नियुक्त होने के बाद 2012 तक कार्य किया। उसके उपरांत 1991 में ओलंपिक काउंसिल ऑफ़ एशिया में महासचिव नियुक्त किया गया और 2015 तक महासचिव पद व उसके बाद 2021 तक लाइव वाइस प्रेसिडेंट और फिर कार्यकारी अध्यक्ष के महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया।
1987 में ही रणधीर सिंह भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के संचालन बोर्ड के सदस्य बने, और 2010 तक इस पद पर बने रहे। साथ ही, उन्होंने 2010 दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स की आयोजन समिति के उपाध्यक्ष का पद भी संभाला। 1991 में उन्हें ओसीए का महासचिव नियुक्त किया गया और इस पद पर वे 2015 तक बने रहे।
1998 में, राजा रणधीर सिंह को एफ्रो-एशियाई खेल परिषद के संस्थापक महासचिव के रूप में नामित किया गया और इस पद पर वे 2007 तक कार्यरत रहे। रणधीर सिंह साल 2002 में एसोसिएशन ऑफ नेशनल ओलंपिक कमेटी (एएनओसी) की कार्यकारी परिषद के सदस्य बने। 2003 से 2005 के बीच उन्हें वाडा (वर्ल्ड एंटी-डोपिंग एजेंसी) के बोर्ड में आईओसी (अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति) के प्रतिनिधि के रूप में चुना गया, और 2005 में वह वाडा की वित्त और प्रशासन समिति के सदस्य बने।
उन्होंने 2019 एशियाई खेलों के लिए कोआर्डिनेटिंग कमेटी के अध्यक्ष के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं। रणधीर सिंह 2001 से 2014 तक आईओसी के सदस्य रहे, जिसके बाद वह इस ग्लोबल बॉडी के मानद सदस्य के रूप में कार्य करते रहे। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई आईओसी कमीशन में योगदान दिया।
अपनी सेवाओं के लिए, राजा रणधीर सिंह को 2005 में ओसीए अवॉर्ड ऑफ मेरिट, 2006 में एएनओसी से मेरिट अवॉर्ड, और 2014 में ओलंपिक ऑर्डर, सिल्वर से सम्मानित किया गया।
प्रदीप
वार्ता