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इसके विपरीत उदयपुर शहर सीट से 1985 में कांग्रेस ने डा.गिरिजा व्यास को टिकट दिया था और वह चुनाव जीती थी। उदयपुर ग्रामीण विधानसभा सीट से वर्ष 2003 में भाजपा की वंदना मीणा विजयी हुयी तथा वर्ष 2008 में वह चुनाव हार गयी थी। इसी सीट से 2008 में कांग्रेस ने सज्जन देवी कटारा को टिकट दिया था। श्रीमती कटारा चुनाव जीत गयी थी लेकिन वर्ष 2013 में वह हार गयी थी।
इसी प्रकार बांसवाडा जिले की गढी विधानसभा सीट से कांग्रेस की कांता गरासिया 2008 का चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंची जबकि 2013 में वह चुनाव हार गयी थी। डूंगरपुर जिले की आसरपुर विधानसभा सीट से भाजपा की प्रत्याशी प्रकृति खराडी को 2008 में टिकट दिया गया था लेकिन वह चुनाव हार गयी थी। सागवाडा सीट से पूर्व मंत्री भीखाभाई की पुत्री कमला भील को कांग्रेस पार्टी ने 1980, 1985, एवं 1990 में टिकट दिया। वह तीनों बार निवार्चित हुयी लेकिन 1993 में हार गयी थीं।
चित्तौडगढ सीट से कांग्रेस की निर्मला कुमारी को 1977 में टिकट दिया गया था वह चुनाव हार गयी थी। इसके 16 वर्ष वर्ष 1993 में उन्हें फिर से वहीं से टिकट दिया गया लेकिन दूसरी बार भी उनकी हार हो गयी थी। बडी सादडी सीट से भाजपा ने 2003 में भगवती देवी झाला को टिकट दिया था लेकिन वह चुनाव हार गयी थी। निम्बाहेडा सीट से 1985 मेें कांग्रेस ने मधु दाधीच को टिकट दिया था लेकिन वह चुनाव हार गयी थी।
राजसमंद जिले में राजसमंद सीट से वर्ष 2008 एवं 2013 में भाजपा ने किरण माहेश्वरी को टिकट दिया और वह दोनों बार विजयी हुयी।
वर्ष 2018 के चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने उदयपुर शहर से डा.गिरिजा व्यास, बांसवाडा के गढी विधानसभा सीट से कांता भील तथा डूंगरपुर के चौरासी सीट से मंजूला रोत को प्रत्याशी बनाया है वहीं भाजपा ने महिला प्रत्याशी के रुप में एक मात्र राजसमंद सीट से उच्च शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी को लगातार तीसरी बार उम्मीदवार बनाकर विधानसभा में जाने का मौका दिया हैं।
रामसिंह सैनी मनोज
वार्ता
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