नयी दिल्ली, 07 जुलाई (वार्ता) भारत की सीनियर महिला हॉकी टीम में जगह बनाने के लिये बेताब पंजाब के नौशेहरा की राजविंदर कौर ने कहा कि उन्होंने भारतीय कप्तान रानी के संघर्ष से प्रेरणा ली है।
राजविंदर के पिता ऑटोरिक्शा चालक और मां गृहणी हैं। ऐसे में उनका जीवन में काफी संघर्षपूर्ण रहा है। उन्होंने कहा, “मैं एथलीट बनना चाहती थी। मैं दौड़ने में तेज थी लेकिन जब मैं नौवीं कक्षा में पढ़ रही थी तब मेरी सीनियर ने मुझे हॉकी खेलने की सलाह दी और तब मैंने उनकी बात पर अमल भी किया।”
उन्होंने कहा, “मुझे वर्ष 2017 में सीनियर राष्ट्रीय शिविर से जुड़ने का मौका मिला जहां मैंने कई शीर्ष खिलाड़ियों से बातचीत की। हर कोई मुश्किल परिस्थितियों से निकलकर यहां तक पहुंचा है और हर किसी की निजी कहानी प्रेरणादायी है लेकिन रानी जब युवा थी तब उनका संघर्ष और उपलब्धियां देखकर मेरे मन में भी आगे बढ़ने की उम्मीद जगी।” राजविंदर वर्ष 2017 के बाद से सीनियर राष्ट्रीय कोर संभावित समूह में नियमित होने के बाद धैर्यपूर्वक अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय मैच खेलने का इंतजार कर रही हैं।
राजविंदर की तेजी और स्ट्राइकर के रूप में उनकी क्षमता को देखकर 2015 में घरेलू टूर्नामेंटों के दौरान राष्ट्रीय चयनकर्ताओं का ध्यान उनकी तरफ गया। इसके बाद उन्हें जूनियर राष्ट्रीय शिविर के लिये चुना गया और उन्हें 2016 में मलेशिया में अंडर-18 एशिया कप में खेलने का मौका मिला।
उन्होंने कहा, “जब मैंने 18 सदस्यीय टीम में अपना नाम नहीं देखा तो मुझे निराशा हुई, लेकिन मुझे पता है कि मेरे पास अभी भी बहुत समय है और मुख्य कोच शुअर्ड मरिने मेरी कमियों को रेखांकित करते हुए मुझे उचित सलाह देते हैं और मुझे उन कमियों को दूर करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”
शुभम राज
वार्ता