राज्य » उत्तर प्रदेशPosted at: Dec 31 2019 2:15PM पीएफआई को प्रतिबंधित करने की सिफारिश
लखनऊ, 31 दिसम्बर (वार्ता) नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और नेशनल सिटीजन रजिस्टर (एनआरसी) के विरोध में पिछले दिनो उत्तर प्रदेश में हुये हिंसक विरोध प्रदर्शन के पीछे पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआई) का हाथ होने के सबूत मिलने के बाद योगी सरकार ने केन्द्र से इस संगठन को प्रतिबंधित करने की सिफारिश की है।
इस सिलसिले में सूबे के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने सोमवार को एक पत्र केन्द्र को भेजा है।
उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत मे कहा कि सीएए को लेकर राज्य में पिछले दिनो हुयी हिंसा में पीएफआई कार्यकर्ताओं का हाथ होने के सबूत मिले है। ऐसे संगठनो को बगैर देरी किये प्रतिबंधित कर देना चाहिये। पीएफआई के कई सदस्य पहले भी प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट आफ इंडिया (सिमी) से ताल्लुक रख चुके हैं।
उन्होने कहा “ पुलिस जांच के दौरान पता चला कि राज्य के अलग अलग जिलों विशेषकर लखनऊ में पिछले दिनो भड़की हिंसा में पीएफआई कार्यकर्ताओं का हाथ था। हम ऐसे देशद्रोही कृत्य में शामिल लोगों को कतई नहीं छोड़ सकते। पुलिस महानिदेशक ने इस संबंध में केन्द्र को पत्र लिख कर संगठन को प्रतिबंधित करने की सिफारिश की है। ”
पुलिस सूत्रों ने बताया कि 22 नवम्बर 2006 को अस्तित्व में आये पीएफआई के अध्यक्ष वसीम अहमद समेत तीन कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिंसा फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया था। पुलिस जांच में संगठन के हिंसा फैलाने को लेकर मिले पुख्ता सबूत के बाद सरकार की ओर से यह कार्यवाही की गयी है।
प्रदीप
वार्ता