नयी दिल्ली, 30 जनवरी (वार्ता) रोग निदान क्षेत्र की दिग्गज कंपनी रोश डायग्नोस्टिक्स इंडिया ने आगमी बजट के संदर्भ में निवारक स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में, सरकार से अयुष्मान भारत योजना के तहत गैर संक्रामक रोगों (एनसीडी) और एचआईवी, हेपेटाइटिस, और सीर्विकल कैंसर जैसी बीमारियों का प्रबंधन करने के लिए जनसंख्या स्क्रीनिंग पर विचार करने की सिफारिश की है।
रोश डायग्नोस्टिक्स इंडिया के प्रबंध निदेशक डॉ ऋशुभ गुप्ता ने अपनी बजट पूर्व सिफारिशों में कहा,‘‘प्रभावी उपचार के लिए समय पर पहचान महत्वपूर्ण है, और इस संदर्भ में एक राष्ट्रीय पहल निश्चित रूप से अनगिनत जीवन बचा सकती है।”
उन्होंने कहा है कि इसे केंद्रीय और विकेन्द्रीय, अस्पताल-आधारित और मोबाइल साइट परीक्षण इंफ्रास्ट्रक्चर के ढांचे के माध्यम से कार्यान्वित किया जा सकता है, जिसमें अन्य तरीकों के साथ-साथ निकट-रोगी परीक्षण, आत्म-परीक्षण, ड्राइव-थ्रू केंद्र, और सामुदायिक स्वास्थ्य कर्मचारियों के माध्यम से नमूना संग्रह शामिल हैं।
रोश डायग्नोस्टिक्स इंडिया के प्रबंध निदेशक ने स्वास्थ्य सुविधाओं के प्रसार में सार्वजनिक-निजी साझेदारियों (पीपीपी) को बढ़ावा देने की सिफारिश भी की है और कहा है कि इससे संसाधन और कुशलता में सुधार हो सकता है।
उन्होंने कहा है कि इस क्षेत्र में पीपीपी बढ़ने से गुणवत्ता में सुधार, लागतों में कमी, और नवाचार में वृद्धि होगी।
डॉ गुप्ता ने कहा है कि भारत में, पिछले कुछ दशकों में स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूती देने के लिए उत्कृष्ट कदम उठाए गए हैं और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज का लक्ष्य रखते हुए, कैंसर,टीबी और एनसीडी जैसी बीमारियों से निपटने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रति उसके समर्पण को उजागर करती है। हालांकि, हमें सही निवेश और साझेदारियों के साथ इस मॉमेंटम को बढ़ाना होगा ताकि स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को बढ़ाया जा सके।
उन्होंने कहा,“हमारे राष्ट्र की विशेष आवश्यकताओं और संसाधन क्षमताओं के लिए रूपांतरित राष्ट्रीय नैदानिक रणनीतियों को लागू करना आवश्यक है। सस्ते और सटीक नैदानिक परीक्षणों की पहुंच को प्राथमिकता देना भारत के स्वास्थ्य प्रणाली को परिवर्तित कर सकता है, लाखों जीवन बचा सकता है और करोड़ो लोगों की भलाई में सुधार ला सकता है।’’
मनोहर.संजय
वार्ता