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लंबी झुलसती धूप के बाद मानसून का सुकून : कमलनाथ

लंबी झुलसती धूप के बाद मानसून का सुकून : कमलनाथ

भोपाल, 17 जून (वार्ता) मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आज प्रदेशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि एक लंबी तपन के बाद मानसून उनके द्वार खड़ा मिट्टी की सौंधी सौंधी खुशबुओं के साथ नए उत्साह और उम्मीदों की दस्तक तो दे रहा है, मगर बीती लंबी तपन की पीड़ाएँ भी कह रहा है ।

प्रदेश कांग्रेस की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक आज कमलनाथ सरकार के छह महीने पूरे होने पर उन्होंने अपने संदेश में काव्यात्मक लहजे में कहा कि दूर तलक तपन थी कोई साया न था, धूप का ऐसा मौसम तो कभी आया न था। तपन थी भी बहुत लंबी, 15 वर्षों की। प्रदेश का सब कुछ झुलसा दिया था इस धूप ने, अर्थ तंत्र, सुशासन, नारी सम्मान, किसानों का जीवन, युवाओं का रोजगार, दलितों, आदिवासियों का आत्मसम्मान सब कुछ।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आर्थिक बदहाली का आलम यह था कि आठ हजार करोड़ का रेवेन्यू डेफिसिट था, कर्मचारियों की तनख्वाह के लाले पड़ रहे थे, कई बार रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से उधार लेकर काम चलाया गया था। प्रदेश पर एक लाख 87 हजार करोड़ का कर्ज हो गया था। निवेश औंधे मुँह गिर गया था। सुशासन और न्याय का तो नामोनिशान नहीं था। 46 हजार बेटियाँ अपनी लाज नहीं बचा सकी थीं। 48 लाख बच्चे कुपोषण का शिकार हो गए थे। किसानों को फसलों के दाम माँगने पर गोलियाँ मारी जा रही थीं। बच्चों के भविष्य को व्यापम के माध्यम से बेचा जा रहा था।

उन्होंने कहा कि विरासत में झुलसा और मुरझाया हुआ एक तंत्र मिला था। पर रोहिणी जितनी तपती है, बारिश उतनी ही अच्छी होती है। अंततः मौसम ने अंगड़ाई ली, मानसून आ पहुँचा है, सबसे पहले किसानों के द्वार कर्ज माफी बनकर, फिर गरीबों के घर सस्ती बिजली की सौगात बनकर। अब अपराधों में भी कमी आ रही है, बेटियाँ 51 हजार रूपये विवाह में मदद भी पा रही हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के नागरिकों की प्यास अब अधिकार बन रही है। शहरी विकास की संभावनाएं तरक्की की नई इबारत लिख रही है। नया निवेश आ रहा है, औद्योगिक विकास खुशियों के गीत गा रहा है, और उसमें प्रदेश के युवा का 70 प्रतिशत स्थान सुनिश्चित किया जा रहा है, गरीबों के घर बेहद सस्ती बिजली से रोशन हो रहे हैं।

उन्होंने कहा कि बिजली की खपत समृद्धि का द्योतक है । बीते छः माह में बिजली की खपत में 16 से 48 प्रतिशत तक वृद्धि हुई है। पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ देकर आगे लाया जा रहा है। दलितों और आदिवासी भाइयों की खुशहाली का गौरव गान गाया जा रहा है। बीते 6 माह की सरकार में प्रदेश की उम्मीदें परवान चढ़ रही हैं और बेटियाँ हिमालय। युवा आशान्वित हैं और किसान आश्वस्त। पिछड़े दलित और आदिवासी भाइयों की चुनौतियाँ अवसरों में तब्दील की जा रही हैं। गौ माताएं गौ शालाओं में घर पा रही हैं। अब माँ नर्मदा भी मैय्या क्षिप्रा के घर जा रही हैं, वर्षा झूम कर आ रही है और प्रदेश की तरक्की मुस्कुरा रही है।

मुख्यमंत्री ने काव्यात्मक लहजे में कहा कि झड़ गए है सारे पुराने पत्ते शाख से, उम्मीदों की नईं कोपलें फूट रही हैं पूरे आत्मविश्वास से। आओ धूप की झुलसती तपन का दामन छोड़ दें, और मानसून की रिमझिम वर्षा का रुख प्रदेश के विकास की असीम संभावनाओं की ओर मोड़ दें।

गरिमा

वार्ता

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