कानपुर, 27 जून (वार्ता) उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एवं लोकपाल सीके प्रसाद ने क्रिकेटर त्रिवेश यादव द्वारा उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ के पदाधिकारियाें पर लगाये गये आरोपों को निराधार करार दिया है।
लोढा कमेटी के निर्देशों के अनुपालन में नियुक्त लोकपाल ने पिछली 24 जून को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि त्रिवेश यादव के पिता न्यायाधीश रमेश यादव द्वारा यूपीसीए पर लगाए गए आरोप निराधार हैं और उन्होंने उसे पूर्णतयः अमान्य कर दिया है। लोकपाल ने कहा कि रमेश यादव अपने आरोपों के सापेक्ष में कोई भी ठोस दस्तावेज नहीं प्रस्तुत नहीं कर सके।
यूपीसीए के प्रवक्ता ने शनिवार को बताया कि त्रिवेश यादव के पिता ने आरोप लगाया था कि उनके पुत्र ने अंडर-19 कूच बिहार ट्राफी के फाइनल सहित नाकआउट मैचों में शिरकत की थी जिसकी मैच फीस का पूर्णतयः भुगतान, पुरस्कार राशि एवं संबंधित सर्टीफिकेट नहीं प्रदान किए गए थे।
जांच में लोकपाल ने पाया कि त्रिवेश ने महज दो मैचों मे अतिरिक्त खिलाड़ी के रूप में भाग लिया था और इन दो मैचों की फीस बीसीसीआई ने सीधे खिलाड़ी के खाते में स्थानांतरित कर दी थी। लोकपाल ने यूपीसीए और बीसीसीआई के रिकार्ड को सही पाया। लोकपाल ने न्यायाधीश रमेश यादव को चेताया है कि वह अपने पद एवं गरिमा का ध्यान रखें। न्यायाधीश रमेश यादव ने यूपीसीए के अधिकारियों को जिस तरह के मैसेज भेजे हैं, वह कतई उनकी पद एवं गरिमा के अनुरूप नहीं है।
गौरतलब है कि पिछले साल अक्टूबर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने यूपीसीए के सीओओ दीपक शर्मा, सचिव युद्धवीर सिंह, अंडर 19 क्रिकेट टीम के पूर्व कोच मो. आमिर खान और मैनेजर सतीश रहे सतीश जायसवाल के खिलाफ चल रहे आपराधिक मुकदमे की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। इन सभी पर त्रिवेश ने चंदौली की जिला अदालत में धोखाधड़ी और षड्यंत्र का मुकदमा दर्ज कराया था।
आरोप है कि त्रिवेश यूपी अंडर 19 टीम के अतिरिक्त खिलाड़ी थे। उनको यात्रा भत्ता और आवास भत्ता तो मिला मगर मैच फीस नहीं मिली। इस पर उन्होंने चंदौली में एफआईआर दर्ज कर धोखाधड़ी और षडयंत्र का आरोप लगाया है। जिला अदालत में दर्ज इस मुकदमे को यूपीसीए ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति केएन बाजपेई ने क्रिकेटर त्रिवेश यादव और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
प्रदीप राज
वार्ता