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नए सांसद


मंडल अध्यक्ष से सांसद तक रेणुका का शानदार सफर

मंडल अध्यक्ष से सांसद तक रेणुका का शानदार सफर

(अशोक टंडन से)

सरगुजा 05 जून (वार्ता) मोदी सरकार में केंद्रीय राज्यमंत्री बनी रेणुका सिंह का भारतीय जनता पार्टी की मंडल अध्यक्ष से लेकर सांसद बनने तक का शानदार सफर रहा है।

आदिवासी नेता एवं तेजतर्रार छवि की सुश्री सिंह वर्ष 2000 में अविभाजित मध्यप्रदेश में रामानुजनगर मंडल की भाजपा की पहली महिला अध्यक्ष बनी थी। एक नवंबर 2000 को अलग छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद इसी वर्ष वह रामानुजनगर जनपद सदस्य निर्वाचित हुई और 2001 में समाज कल्याण बोर्ड की सदस्य भी नियुक्त की गयी थी । इन दोनों पदों पर उन्होंने 2003 तक अपनी सेवाएं दी थी । वर्ष 2002 से 2004 तक वह भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश मंत्री भी रहीं थी ।

सुश्री सिंह सरगुजा संभाग के प्रेमनगर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से 2003 और 2008 में दो बार विधायक निर्वाचित हुई थी । वर्ष 2003 से 2005 तक वह छत्तीसगढ़ की महिला बाल विकास मंत्री भी रही थी । बाद में उन्होंने 2005 से 2013 तक सरगुजा विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष का दायित्व संभाला था।

वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में प्रेमनगर निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा ने उन्हें पुनः चुनाव मैदान में उतारा , लेकिन इस बार वह जीत की हैट्रिक बनाने से चूक गयी और उन्हें कांग्रेस के खेलसाय सिंह के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा था ।

भौगोलिक नक्शे में सरगुजा संभागीय और जिला मुख्यालय अंबिकापुर है तथा सरगुजा नाम से इलाके में कोई जगह ही नहीं है । यहां के पूरे भू-भाग को ही सरगुजा कहा जाता है। सरगुजा लोकसभा सीट के अस्तित्व में आने के बाद 20 साल तक यहां कांग्रेस का कब्जा रहा था । आदिवासी बहुल क्षेत्र होने और सुश्री सिंह की इस इलाके में पकड़़ और पुराने अनुभव को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने उन पर भरोसा जताया और इस बार के लोकसभा चुनाव में सरगुजा से उम्मीदवार बनाया। सुश्री सिंह ने भी पार्टी के भरोसे को कायम रखा और कांग्रेस के खेलसाय सिंह को एक लाख 35 हजार वोटों से शिकस्त दी।

छत्तीसगढ़ की आबादी का करीब 52 फीसद हिस्सा आदिवासी है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक प्रदेश से आदिवासी नेता को प्रतिनिधित्व देकर भाजपा ने न केवल छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि देश के आदिवासियों को साधने की कोशिश की है। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में सरगुजा संभाग में भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली थी। इसके बावजूद लोकसभा चुनाव में सुश्री सिंह ने सवा लाख से ज्यादा वोट से जीत दर्ज की है ।

टंडन अरुण

वार्ता

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