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भाजपा के लिये प्रतिष्ठा, बसपा-रालोद के लिए अस्तित्व की जंग

भाजपा के लिये प्रतिष्ठा, बसपा-रालोद के लिए अस्तित्व की जंग

लखनऊ 15 अप्रैल (वार्ता) लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की आठ सीटों पर भारतीय जनता पार्टी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के करिश्मायी व्यक्तित्व के बूते चुनावी नैया पार लगाने की कोशिश में है वहीं पिछली बार में खाता खोलने से महरूम रह गयी बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के लिये अपने अस्तित्व की रक्षा करने का मौका है।

दूसरे चरण में मथुरा, बुलंदशहर, अलीगढ़, फतेहपुर सीकरी, आगरा, हाथरस, अमरोहा और नगीना संसदीय क्षेत्र में 18 अप्रैल को मतदान होगा। भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनाव में इन आठ सीटों पर जीत का परचम लहराया था। दूसरा चरण बसपा के लिए इसलिये और भी महत्वपूर्ण है कि आठ में से छह सीटों पर उसके उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। जगकि गठबंधन की ओर से एक-एक सीट पर समाजवादी पार्टी (सपा) और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं।

दूसरे चरण में दो फिल्मी हस्तियाें की भी प्रतिष्ठा दांव पर है। ताजनगरी आगरा से सटे फतेहपुर सीकरी में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर और मथुरा में बालीवुड की ड्रीम गर्ल और मौजूदा सांसद हेमामालिनी चुनाव मैदान में हैं। मोदी लहर में पिछला चुनाव जीतने वाली हेमामालिनी का मुकाबला कांग्रेस के महेश पाठक और रालोद के कुंवर नरेन्द्र सिंह से है जो उन पर बाहरी होने और सिर्फ चुनावों के समय जनता के बीच आने की बात कहकर उनके विरुद्ध माहौल बना रहे हैं।

कभी भाजपा के दिग्गज नेता रहे कल्याण सिंह के गढ़ अलीगढ़ में पार्टी उम्मीदवार सतीश गौतम को अपनी सीट बरकरार रखने के लिये बसपा के अजित बालियान और कांग्रेस के चौधरी वीरेन्द्र सिंह की चुनौती से निपटना होगा। जाट समुदाय इस सीट पर महती भूमिका अदा कर सकता है जिसकों अपने पाले में करने के लिये तीनो प्रमुख दलों के उम्मीदवारों ने पूरी ताकत झाेंक दी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में आयोजित जनसभा में दावा किया था कि चुनाव परिणाम विरोधी खेमे में अलीगढ का ताला लगा देंगे।

फतेहपुर सीकरी संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका वाड्रा ने सोमवार को जनसभा कर प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर के लिये वोट मांगे। श्री बब्बर काे यहां भाजपा के नये चेहरे राजकुमार चाहर और बसपा के गुड्डू पंडित से लोहा लेना पड़ रहा है। बुनियादी समस्यायों से जूझते इस क्षेत्र में भाजपा ने अपनी संभावनायें बढ़ाने के लिये मौजूदा सांसद बाबूलाल की टिकट काट कर नये चेहरे पर दांव खेला है। विदेशी सैलानियों को लुभाने वाली ताजनगरी आगरा मेें जीत का फैसला दलित समुदाय तय करेगा। इस सीट पर भाजपा के एस पी सिंह बघेल और बसपा के मनोज सोनी के बीच रोचक मुकाबला होने की उम्मीद है। दलित और अल्पसंख्यक वोटों पर कांग्रेस का भी दावा बसपा की मुहिम पर चोट पहुंचा सकता है जबकि बसपा के पुराने चावल बघेल भाजपा के पक्ष में दलितों को करने का पुरजोर प्रयास कर रहे है।

आगरा की तरह अमरोहा में भी जाट अल्पसंख्यक गठजोड़ किसी भी दल का पासा पलट सकता है। भाजपा के कब्जे से अमरोहा को मुक्त कराने की जिम्मेदारी बसपा के दानिश अली के कंधों पर है जो कांग्रेस के राशिद अल्वी के हट जाने के कारण बेहद उत्साहित है। हालांकि समाजसेवी की भूमिका में भाजपा प्रत्याशी कवंर सिंह तवंर मोदी के नाम पर जाट मतों को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहे है।

अल्पसंख्यक बाहुल्य नगीना को बरकरार रखने के लिये भाजपा ने डाक्टर यशवंत सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है जहां उनका मुकाबला बसपा के गिरीश चन्द्र और कांग्रेस की ओमवती से है। दलित मुस्लिम गठजोड़ के बूते चुनाव परिणाम को अपने पक्ष में करने के लिये बसपा को भाजपा से ज्यादा कांग्रेस के साथ लड़ाई लडनी होगी।

प्रदीप जय

वार्ता

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