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किसानों की आय बढाने को लेकर गन्ना पर अनुसंधान तेज

किसानों की आय बढाने को लेकर गन्ना पर अनुसंधान तेज

नयी दिल्ली 11 मार्च (वार्ता) किसानों की आय बढाने और कृषि लागत को कम करने के उद्देश्य से देश में गन्ने की ऐसी किस्मों का विकास पर जोर दिया जा रहा है जिसमें न केवल रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक हो बल्कि उससे अधिक मात्रा में चीनी , एथनाल और शीरा प्राप्त हो तथा जल जमाव वाले क्षेत्रों में इसकी खेती की जा सके और कम सिंचाई में भरपूर पैदावार ली जा सके ।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अलग अलग केन्द्रों में रेडरॉट रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले गन्ने , अधिक एथनाल और शीरा प्राप्त करने वाले गन्ने, जल जमाव वाले क्षेत्रों में अच्छी पैदावार देने वाले तथा कम सिंचाई में भरपूर उत्पादन देने वाले गन्ने की किस्मों के विकास पर अनुसंधान किया जा रहा है ।

कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने को लेकर गन्ना अनुसंधान के क्षेत्र में चल रहे कार्य को तेज करने का निर्देश दिया है ताकि इसका अधिक से अधिक औद्योगिक उपयोग हो और किसानों को इसका अच्छा मूल्य मिल सके। कुछ संस्थानों में गन्ना की कुछ नयी किस्में अनुसंधान के अंतिम चरण में है जिसे जल्दी ही किसानों के लिए जारी किया जा सकता है ।

परिषद के महानिदेशक त्रिलोचन महापात्रा के अनुसार देश में सालाना करीब दो करोड़ 60 लाख टन चीनी का उत्पादन किया जा रहा है और वर्ष 2030 तक तीन लाख 60 हजार टन चीनी उत्पादन का लक्ष्य होना चाहिये। गन्ने की नयी किस्म सीओ 0238 से 12 प्रतिशत चीनी प्राप्त किया जा रहा है जिस दर को अब बढाने का प्रयास किया जा रहा है। इसकी उत्पादन क्षमता 70 से 80 टन प्रति हेक्टेयर है जिसे बढ़ाकर 100 टन करने के भी प्रयास चल रहे हैं।

सरकार ने पेट्रोलियम पदार्थो का आयात घटाने के उद्देश्य से पेट्रोल में 15 प्रतिशत एथनाल मिलाने की इजाजत दी है जिसके कारण कृषि वैज्ञानिक गन्ने से अधिक मात्रा में एथनाल प्राप्त करने में जुटे हैं । शीरे का उपयोग शराब उद्योग में होता है जिसके कारण इसकी मात्रा के बढ़ाने के प्रयास हो रहे हैं ।

बिहार और उत्तर प्रदेश में बड़े हिस्से में बरसात के दिनों में नदियों में उफान आने पर पानी गन्ने की खेती वाले क्षेत्रों में भर जाता है जिससे इसका उत्पादन प्रभावित होता है और फसल कमजोर हो जाती है। ऐसे क्षेत्रों के लिए ऐसी किस्मों का विकास करने के प्रयास हो रहे हैं जो एक दो माह तक जलजमाव के बावजूद अच्छी फसल दे सके।

गन्ने का भरपूर पैदावार लेने के लिए अन्य फसलों की तुलना में इसमें अधिक सिंचाई की जरुरत होती है। एक किलो चीनी पाने के लिए जितनी मात्रा में गन्ने की जरुरत होती है उसे तैयार करने में 2000 लीटर पानी खर्च करना पड़ता है। परिषद इसी को ध्यान में रखकर गन्ना में जल प्रबंधन पर शोध कार्यक्रम चला रही है। वैज्ञानिक सूखा प्रभावित क्षेत्र में गन्ना की पैदावार लेने के प्रयास में भी लगे हैं।

उल्लेखनीय है गन्ना की खेती में ब्राजील पहले स्थान पर है अाैर भारत दूसरे स्थान पर। भारतीय किस्म की गन्ने की खेती ब्राजील, मैक्सिको, बंगलादेश और दक्षिण अफ्रीका में की जाती है ।

अरुण.संजय

वार्ता

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