नयी दिल्ली 3 नवंबर (वार्ता) भारत ने कोलंबिया में आयोजित जलवायु सम्मेलन में अपने राष्ट्रीय जैव विविधता रणनीति एवं कार्य योजना (एनबीएसएपी) के अद्यतन संस्करण की घोषणा की है, जिसमें देश में 2030 तक जैव विविधता की क्षति पर पूरी तरह विराम लगाने का लक्ष्य है।
संशोधित रणनीति में 2050 तक भारत में मानव जीवन को प्रकृति के साथ पूरे तालमेल के साथ संचालित करने का लक्ष्य रखा गया है।
केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मामलों के मंत्रालय द्वारा रविवार को जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि मंत्रालय में राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कोलंबिया के कैली में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में शामिल सदस्य देशों के सम्मेलन कॉप-16 के दौरान एक विशेष आयोजन में इस विषय पर भारत की एनबीएसएपी का अद्यतन संस्करण जारी किया।
श्री सिंह ने कुनमिंग- मोंट्रियल वैश्विक जैव विविधता संधि (केएमजीबीएफ) के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा के बारे में सदस्य देशों की भागीदारी पर चर्चा के लिए आयोजित इस विशेष सत्र में भारत की रणनीति और कार्य योजना के संशोधित संस्करण को प्रस्तुत किया।
श्री सिंह ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि जैव विविधता के संरक्षण के क्षेत्र में भारत की नई रणनीति और कार्य योजना में "पूरी सरकार" और "पूरे समाज" की भागीदारी पर केंद्रित सोच को शामिल किया गया है।
उन्होंने कहा है कि भारत "अपनी राष्ट्रीय परिस्थितियों, प्राथमिकताओं और क्षमताओं के अनुसार" जैव विविधता संरक्षण के राष्ट्रीय लक्ष्यों को (एनबीटी) जलवायु सम्मेलन के समक्ष पहले ही रख चुका है।
श्री सिंह ने कहा है कि जैव विविधता के संरक्षण के मामले में भारत की प्रतिबद्धता का दूरगामी प्रभाव पड़ेगा। भारत की नई रणनीति और कार्य योजना में वर्तमान परिस्थितियों के कायाकल्प और परिस्थितिकीय प्रणाली आधारित दृष्टिकोण को शामिल किया गया है।
उन्होंने कहा कि इसके क्रियान्वयन में जमीनी स्तर पर प्रयास और जैव विविधता को राष्ट्र की मुख्यधारा में लाने, संबंधित क्षेत्र में समन्वय और विभिन्न एजेंसियों में सहयोग का दृष्टिकोण अपनाया जाएगा।
कॉप-16 में जैव विविधता पर विशेष सम्मेलन को कोलंबिया के पर्यावरण उपमंत्री मॉरीशियो कैबरे, वहां की बहुपक्षीय मामलों की उप मंत्री कैन्दिया ओबेजो तथा सीबीडी की कार्यकारी सचिव शुमाकर और अन्य गणमन व्यक्तियों ने भाग लिया।
मनोहर , संतोष
वार्ता