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राईस शूट नीति ‘तुगलकी फरमान‘: अभय चौटाला

राईस शूट नीति ‘तुगलकी फरमान‘: अभय चौटाला

चंडीगढ़, 07 जून (वार्ता) इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) नेता अभय सिंह चौटाला ने प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) -जननायक जनता पार्टी (जजपा) सरकार की ‘राइस शूट नीति’ को आज किसानों को बर्बाद करने का सरकारी तुगलकी फरमान करार दिया।

यहां जारी बयान में श्री चौटाला कहा कि यह नई नीति इसलिए लागू की गई है कि किसान धान की फसल ही न लगा सके। उन्होंने कहा कि अभी तो प्रदेश का किसान ‘कोरोना कहर’ से ही जूझ रहा है, किसान को अभी तक गेहूं और सरसों के पूरे भाव भी नहीं मिल पाए हैं, ऊपर से कभी किसानों को धान न लगाने तो कभी पूरी फसल मंडियों में न लाने के फरमान जारी किए जाते हैं।

उन्होंने कहा कि ‘राइस शूट नीति’ पूर्व में बनाई तो इसलिए गई थी कि प्रदेश सरकार पहाड़ों में हुई बारिश से अतिरिक्त पानी का सदुपयोग कर सके ताकि किसानों को पर्याप्त मात्रा में पानी मिल सके। इनेलो नेता ने कहा कि सरकार वेस्टर्न यमुना कैनाल, जिसमें यमुनानगर, करनाल, पानीपत, जींद और जिला रोहतक आते हैं, में राइस शूट के लिए हर साल जो 25 प्रतिशत पानी आबंटित किया जाता था, को आने वाले पांच सालों में तीन प्रतिशत व भाखड़ा कमांड जिसमें जिला कैथल, कुरुक्षेत्र, अम्बाला, हिसार, सिरसा और फतेहाबाद जिले आते हैं, में राइस शूट के लिए 10 प्रतिशत आबंटित पानी को भी आने वाले पांच सालों में तीन प्रतिशत करने जा रही है।

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार 2021 के बाद सभी पुराने राइस शूट खत्म करने जा रही है और जो रजबाहे 10 क्यूसिक से कम के हैं उन पर भी राइस शूट खत्म कर दिया जाएगा। सरकार 20 एकड़ से कम जमीन पर राइस शूट नहीं देगी व 20 एकड़ में से मात्र 5 एकड़ में ही किसान धान लगा सकेगा।

इनेलो नेता ने बताया कि सरकार राइस शूट नीति के तहत पहले 150 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से किसानों से लेती थी, अब बढ़ाकर 300 रुपए प्रति एकड़ कर दिया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में करीब 40 लाख एकड़ भूमि में धान की खेती की जाती है, जिसमें लगभग 55 लाख मीट्रिक टन चावल का उत्पादन होता है। प्रदेश के कई जिलों को सरकार ने डार्कजोन जैसी गर्त की स्थिति में धकेल दिया है। इसका सीधा सा कारण यही रहा कि इन्होंने पहले दादूपुर नलवी नहर और एसवाईएल नहर के अधूरे निर्माण को पूरा नहीं किया जबकि दादूपुर-नलवी नहर को रिचार्ज के लिए ‘राइस शूट नीति’ के तहत ही पानी दिया जाता था। उन्होंने कहा कि अगर इन दोनों नहरों के माध्यम से किसानों के लिए भरपूर पानी की व्यवस्था की जाती तो आज प्रदेश का किसान यूं भयावह स्थिति में न होता।

महेश विजय

वार्ता

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