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रीटा चौधरी की राजनीतिक प्रतिष्ठा फिर दांव पर

रीटा चौधरी की राजनीतिक प्रतिष्ठा फिर दांव पर

झुंझुनूं 14 अक्टूबर (वार्ता) राजस्थान के झुंझुनूं जिले में मंडावा विधानसभा क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस की पूर्व विधायक रीटा चौधरी की राजनीतिक प्रतिष्ठा फिर दांव पर लगी है वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रत्याशी सुशीला सीगड़ा के लिए यह राजनीति में उभरने का अवसर है।

कांग्रेस का गढ रहे मंडावा विधानसभा क्षेत्र में इक्कीस अक्टूबर को होने वाले उपचुनाव में रीटा चौधरी का चुनावी मुकाबला हाल ही में कांग्रेस से भाजपा में आई झुंझुनूं प्रधान सुशीला सीगड़ा से है। वर्ष 1957 में अस्तित्व में आई मंडावा विधानसभा सीट पर ज्यादात्तर कब्जा कांग्रेस का रहा है और उसमें भी सर्वाधिक सात बार रीटा चौधरी के पिता रामनारायण चौधरी का रहा जबकि एक बार वर्ष 2008 में रीटा चौधरी विधायक रही।

हालांकि रीटा को अपने पिता से विरासत में मिली राजनीति को वह ज्यादा लम्बे समय तक संभाल नहीं पाई और वह विधायक बनने के बाद वर्ष 2013 एवं 2018 में हुए विधानसभा चुनाव हार गई। वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने रीटा चौधरी का टिकट काटकर तत्कालीन पार्टी प्रदेशाध्यक्ष डॉ चंद्रभान को दे दिया था। उस समय टिकट कटने पर रीटा चौधरी ने कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा, लेकिन वह निर्दलीय उम्मीदवार नरेन्द्र कुमार खीचड़ से 17 हजार 118 मतों से चुनाव हार गई। उस समय चुनाव में डॉ चंद्रभान केवल 15 हजार 815 मत ही हासिल कर पाये और और उनकी जमानत जब्त हो गई।

पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर रीटा चौधरी को प्रत्याशी बनाया लेकिन वह भाजपा प्रत्याशी श्री खीचड़ के सामने फिर चुनाव हार गई। वह श्री खींचड़ से केवल 2346 मतों से चुनाव हारी। अब उपचुनाव में एक बार फिर कांग्रेस ने रीटा चौधरी पर भरोसा जताया जहां उनका चुनावी मुकाबला कांग्रेस से ही तीन बार की प्रधान चुनी गई सुशीला सीगड़ा से होगा।

मंडावा में हुआ पहला विधानसभा चुनाव सीपीआई के लच्छु राम ने जीता। इसके बाद 1962 में स्वतंत्र पार्टी के रघुवीर सिंह, 1967 से 77 तक रामनारायण चौधरी तथा 1980 में फिर लच्छु राम (जनता पार्टी) ने चुनाव जीता। श्री लच्छु राम के निधन से वर्ष 1983 में मंडावा में पहली बार हुए उपचुनाव में रामनारायण चौधरी फिर विधायक चुने गये।

इसके बाद 1985 में कांग्रेस की सुधा, 1990 में जनता दल के डा चन्द्रभान, 1993 एवं 1998 में फिर रामनारायण चौधरी चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। श्री चौधरी राजस्थान में कांग्रेस के दिग्गज नेता थे और वह कई बार राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री, विधानसभा उपाध्यक्ष, प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष एवं विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे। वर्ष 2008 में श्री चौधरी ने रीटा चौधरी को कांग्रेस उम्मीदवार के रुप में चुनाव मैदान में उतारा और विधायक निर्वाचित हुई लेकिन श्री चौधरी के निधन के बाद रीटा चौधरी ने दो बार विधानसभा चुनाव लड़ा और दोनों में ही उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

वर्ष 2013 में नरेन्द्र कुमार खींचड़ (निर्दलीय) तथा 2018 में श्री खींचड़ भाजपा उम्मीदवार के रुप में विधायक चुने गये। इसके बाद श्री खींचड़ को भाजपा ने झुंझुनूं लोकसभा सीट पर अपना प्रत्याशी बनाया और वह सांसद चुने गये। जिससे मंडावा सीट खाली हो गई।

मंडावा विधानसभा क्षेत्र में कुल दो लाख तीस हजार 384 मतदाता है। इनमें एक लाख 17 हजार 742 महिला एवं एक लाख नौ हजार 672 पुरुष तथा दो हजार 970 सर्विस मतदाता शामिल है। उपचुनाव के लिए क्षेत्र में 259 मतदान केन्द्र बनाये गये है।

जोरा

वार्ता

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