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लोकरुचि


धनतेरस को लेकर पटना समेत बिहार के बाजारों में रौनक

धनतेरस को लेकर पटना समेत बिहार के बाजारों में रौनक

पटना 17 अक्टूबर (वार्ता) बिहार की राजधानी पटना समेत पूरे राज्य में धनतेरस को लेकर बाजारों में काफी रौनक देखने को मिल रही है । पंचांग के अनुसार, प्रतिवर्ष कार्तिक कृष्ण की त्रयोदशी तिथि को धन्वतरि त्रयोदशी मनायी जाती है, जिसे आम बोलचाल में ‘धनतेरस’ कहा जाता है। यह मूलतः धन्वन्तरि जयंती का पर्व है और आयुर्वेद के जनक धन्वन्तरि के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। धनतेरस के दिन नये बर्तन या सोना-चांदी खरीदने की परम्परा है। इस पर्व पर बर्तन खरीदने की शुरुआत कब और कैसे हुई, इसका कोई निश्चित प्रमाण नहीं है लेकिन ऐसा माना जाता है कि जन्म के समय धन्वन्तरि के हाथों में अमृत कलश था और यही कारण इस दिन बर्तन खरीदना शुभ मानते हैं। धनतेरस को धन, वैभव एवं सुख समृद्धि का प्रतीक है। पटना समेत प्रदेश के लगभग सभी जिलों में दीपावली और धनतेरस को लेकर पटाखों, मिठाई , बर्तन, सरार्फा बाजार में रौनक बढ़ गयी है। खरीददार त्योहार की खरीददारी करने लगे हैं। बाजार में दुकानों पर भीड़ दिखाई दे रही है। लोग अन्य पूजा सामग्री के साथ ही गणेश लक्ष्मी की मूर्तियां खरीदने सुबह से ही बाजारों में पहुंचने लगे हैं। दीपावली पर सजावट का समान भी खूब बिक रहा है। इस बार मंहगाई कुछ अधिक है लेकिन खरीदारों पर इसका कोई प्रभाव नहीं है। लोग उत्साह के साथ पर्व की खरीददारी कर रहे हैं। राजधानी के चांदनी चौक, डाकबंगला चौराहा, अनीसाबाद, कंकड़बाग, बोरिंग रोड , स्टेशन रोड ,राजा बाजार और अशोक राजपथ आदि बाजारों में भारी जाम के बावजूद भी लोगों में खरीददारी को लेकर काफी उत्साह है।


          बर्तनों के बाजार और आभूषणों की दुकानों पर अलग सी रौनक बनी हुई है। राजधानी पटना के सभी बाजारों को झालरों से सजाया गया है। ग्राहकों के आकर्षित करने के लिए कई स्टोर पर ऑफर भी दिए जा रहे हैं। इस बार बाजार में बर्तनों से लेकर जेवर खरीदने का अलग ट्रेंड दिख रहा है। धनतेरस पर खरीददारी के लिए बाजार में जबरदस्त भीड़ उमड़ रही है। धनतेरस के दिन ज्यादातर लोग बर्तन जरूर खरीदते हैं। बाजार में बर्तनों की भी कई तरह की वैरायटी उपलब्ध है। धनतेरस के दिन सोना खरीदना भी बहुत शुभ माना जाता है। आभूषणों विक्रेताओं की इस दिन की खरीदारी पर निगाहें टिकी हुई हैं और वे इस दिन पर विशेष ऑफर की भी पेशकश कर रहे हैं। हालांकि इस बार पिछली बार की तुलना में सोना थोड़ा महंगा है लेकिन बुकिंग पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा है। सबसे ज्यादा लोग सोने की गिन्नी और चांदी के सिक्के खरीद रहे हैं। लोक मान्यता के अनुसार, धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए धातु खरीदने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। लेकिन धातुओं की आसमान छूती कीमतें आम जनों के पहुंच से बाहर हो जाने के कारण अब लोगों का रुझान घरेलू उपयोग की वस्तुओं की खरीद की ओर बढ़ गया है। घरेलू सामान ख़ासकर टेलीविजन, फ्रिज, वाशिंग मशीन समेत अन्य समानों की खरीदी के लोग सुबह से ही दुकानों पर जुटने लगे हैं। ऑटो बाजार में कंपनियों की ओर से गाडिय़ों की खरीद पर चांदी के सिक्के एवं एलईडी का उपहार देकर ग्राहकों को लुभाने के लिए बेहतरीन स्कीम शुरू की गई है। युवा वर्ग से लेकर हर तरह के लोग वाहनों की बुकिंग करा रहे हैं।


          प्रतिष्ठान संचालकों ने धनतेरस के मौके पर उमड़ने वाली भीड़ को लेकर विशेष तैयारियां की है। अपने-अपने प्रतिष्ठान के सामने सामानों को प्रदर्शित कर ग्राहकों को आकर्षित करने का भी प्रयास किया जा रहा है। शहर के इलेक्ट्रिक दुकान संचालकों ने भी कोई कोर कसर बांकी नहीं रखी है। रंग बिरंगे, झिलमिलाते व इंद्र धनुषी आभा बिखेरते तरह तरह के बल्बों एवं झालरों का प्रदर्शन कर खरीददारों को लुभाने का प्रयास किया जा रहा है। धनतेरस के दिन बर्तन, आभूषण समेत अन्य सामानों की खरीददारी के लिए बाजार पहुंचे लोग दीपावली के लिए गणेश -लक्ष्मी की मूर्तियों की खरीददारी भी कर रहे हैं। इस बार कई तरह की मूर्तियां बाजार में हैं। खास बात यह है कि कई मूर्तियां वस्त्र भी पहने हुए हैं। लोग अलग से वस्त्र खरीदने की अपेक्षा इन मूर्तियों को अधिक पसंद कर रहे हैं। गत वर्ष की अपेक्षा गणेश लक्ष्मी की मूर्तियां कुछ महंगी हैं लेकिन बिक्री पर खास फर्क नहीं पड़ा है। त्योहार की वजह से बाजार गुलजार हो गये हैं। स्थानीय लोग फूल और पत्तियों से अपने घरों और दुकानों को सजाने की तैयारी में लगे हैं , इसलिये फूलों की मांग बढ़ गयी। राजधानी पटना में फूलों की बड़ी मंडी के दुकानदार रमेश का कहना है कि वैसे तो इस मंडी में फूलों की मांग हमेशा ही बनी रहती है लेकिन दीपावली जैसे त्याहारों में यह मांग दोगुनी हो जाती है। उन्होंने फूलों के आवाक को लेकर कहा कि ज्यादातर फूल पश्चिम बंगाल से आते है। उन्होंने कहा कि पिछले साल के मुकाबले इस बार भी फूलों की मांग बनी हुई है। सतीश राम वार्ता

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