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दीपावली को लेकर बाजारों में रौनक

दीपावली को लेकर बाजारों में रौनक

पटना 07 नवंबर (वार्ता) अंधकार पर प्रकाश के विजयोत्सव दीपावली पर राजधानी पटना के बाजारों में रौनक देखने को मिल रही है।

भारत की सांस्कृतिक विरासत को बचाये रखने में यहां के विविधता भरे त्योहारों का अहम स्थान है। यदि होली हमारे जीवन में रंग भरने के लिए जानी जाती है तो हमारे जीवन में उजियारा फैलाने के लिए दीपावली का त्योहार है। दीपावली एक ऐसा त्यौहार है जिसे पूरी पवित्रता और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। दीपावली दीपों का त्यौहार है। इस दिन रोशनी का विशेष महत्व होता है।

दीपों के पर्व दीपावली के लिये राजधानी पटना के बाजारों में काफी रौनक देखने को मिल रही है। पर्व को लेकर हर वर्ग में उत्साह है, बाजार में रौनक है और लोग जमकर खरीददारी करने में जुटे हुए हैं। कपड़ा, बर्तन, सर्राफा बाजार से लेकर पटाखों के बाजारों में भारी भीड़ उमड़ी हुई है। दुकानदारों का कहना है कि भले ही महंगाई का जोर हो लेकिन लोगों के उत्साह पर उसका ज्यादा असर नहीं है। हर व्यक्ति अपनी आर्थिक स्थिति के मुताबिक खरीददारी कर रहा है। पटाखा बाजारों में भी खरीददारी का दौर चल रहा है। इस बार की खूबी यह है कि चीनी पटाखों की बिक्री नहीं की जा रही है, वहीं लोग देशी पटाखों में भी ज्यादा आवाज वाले नहीं बल्कि ज्यादा रोशनी बिखेरने वाले पटाखे खरीद रहे हैं।

         बाजार में दुकानदारों ने अपनी-अपनी दुकानों को काफी चमक-धमक से सजाया हुआ है। महिलाएं पूजा सामग्री और दीपक खरीदती नजर आ रही हैं। त्योहार होने के कारण चौराहे पर सड़कों के दोनों ओर दुकानदारों ने अस्थाई रूप से दीया, मूर्ति एवं अन्य सामग्री की दुकानें लगा ली है। अस्थाई दुकानदारों ने भी दुकानों को सही ढंग से सजाया है। सुबह होते ही बाजार में दुकानें लगने के बाद लोग खरीददारी करते हुए नजर आए। मंहगाई होने के कारण लोग पहले के मुकाबले कम सामग्री ही खरीद रहे है, हालांकि चाइनीज आइटम बाजार में आने के कारण लोग उसे खरीदने में अधिक रूचि ले रहे हैं। बाजार में चाइनीज मूर्तियां कई डिजाइनों में आई हुईं हैं।

लोग आकर्षक दीयों की जमकर खरीददारी कर रहे हैं। इन दीयों को कई डिजाइनों में बनाया गया है। मंहगाई होने के बाद भी लोग इसे खरीदने में रूचि दिखा रहे हैं। दीये काफी आकर्षक डिजाइनों में बने होने के कारण ये दीये लोगों को पसंद आ जाते हैं। इनको कोई भी कीमत में खरीद लेते हैं। घरों-दुकानों की साफ-सफाई के बाद धनतेरस से ही लोग दीपोत्सव के उमंग और उत्साह से भर गए। मिट्टी दीपों की तरह बने चाइनीज बल्बों की श्रृंखलाएं भी अलग छटा बिखेर रही है। पटना की इमारतों और व्यावसायिक प्रतिष्ठान रोशनी से जगमग हैं। यह सजावट छठ महापर्व तक रहेगी।

मूर्ति, सजावट और पूजा के सामान खरीदने के लिये भी लोग उमड़ पड़े हैं। लोग माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए मिठाई, फल एवं पूजन सामग्री की जमकर खरीददारी कर रहे हैं। प्रशासन ने एहतिहात के तौर पर पटाखों को चिन्हित स्थानों पर बेचने की मंजूरी दी है, ताकि आगजनी की घटना से बचा जा सके।

       भारत के हर धार्मिक त्योहार की तरह इस त्योहार के पीछे भी पौराणिक कथा है लेकिन तमाम कथाओं और रीति रिवाजों के बावजूद दीपावली ही एक ऐसा पर्व है जिसे साल का सबसे बड़ा पर्व कहा जा सकता है। कार्तिक अमावस्या की काली रात को दीयों से उजाले में बदलने की यह परंपरा बहुत पुरानी है।

मान्यता है कि इसी दिन भगवान राम चौदह वर्ष का वनवास काटकर तथा रावण का वध कर अयोध्या लौटे थे। तब अयोध्यावासियों ने राम के राज्यारोहण पर दीपमालाएं जलाकर महोत्सव मनाया था। उसी परंपरा को आज भी हम मानते हैं और दीपावली पर दीये जलाकर मर्यादा पुरुषोत्तम राम को याद करते हैं। कलयुग में सांसारिक वस्तुओं और धन का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस युग में लक्ष्मी जी ही ऐसी देवी हैं जो अपने भक्तों को संसारिक वस्तुओं से परिपूर्ण करती हैं और धन देती हैं। मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय कार्तिक अमावस्या को ही लक्ष्मी जी प्रकट हुई थीं, इसलिए इसी दिन लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व है।

दीपावली के दिन लक्ष्मी, गणेश की पूजा करने का विधान है। इसके साथ भगवान राम और सीताजी को भी पूजा जाता है। इस दिन गणेश जी की पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि उनके पूजन के बिना कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है। दीपावली धार्मिक कारणों से ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी एक अहम पर्व है। ज्यादातर लोग इस दिन घर की पूरी सफाई और रंगाई करते हैं, जिससे जहां पूरे साल सफाई नहीं होती वहां भी सफाई हो जाती है।

प्रेम सूरज

वार्ता

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