मनोरंजनPosted at: May 17 2020 12:39PM रोते हुये आते है सब हंसता हुआ जो जायेगा
पुण्यतिथि 17 मई
मुंबई, 17 मई (वार्ता) वर्ष 1973 में प्रदर्शित सुपरहिट फिल्म ‘जंजीर’ जिससे अमिताभ बच्चन एंग्री यंग और सुपरस्टार बनकर उभरे .उसके लिये प्रकाश मेहरा ने अमिताभ को एक रुपये साइनिंग अमाउंट दिया था।
13 जुलाई 1939 को उत्तर प्रदेश के बिजनौर में जन्में प्रकाश मेहरा अपने करियर के शुरूआती दौर में अभिनेता बनना चाहते थे। साठ के दशक में अपने सपने को पूरा करने के लिये प्रकाश मुंबई आ गये। उन्होंने अपने करियर की शुरूआत बतौर उजाला और प्रोफेसर जैसी फिल्मों में काम किया।
वर्ष 1968 में प्रदर्शित फिल्म हसीना मान जायेगी बतौर निर्देशक प्रकाश मेहरा की पहली फिल्म थी। फिल्म में शशि कपूर ने दोहरी भूमिका निभाई थी। वर्ष 1973 में प्रदर्शित फिल्म जंजीर प्रकाश मेहरा साथ ही अमिताभ के करियर के लिये मील का पत्थर सबित हुयी। बताया जाता है धर्मेन्द्र और प्राण के कहने पर प्रकाश मेहरा ने अमिताभ को जंजीर में काम करने का मौका दिया और साइंनिग अमाउंट के तौर एक रुपया दिया था।
प्रकाश मेहरा अमिताभ को प्यार से ..लल्ला..कहकर बुलाते थे। जंजीर की सफलता के बाद अमिताभ और प्रकाश मेहरा की सुपरहिट फिल्मों का कारवां काफी समय तक चला ।इस दौरान लावारिस. मुकद्दर का सिकंदर. नमक हलाल. शराबी .हेराफेरी जैसी कई फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर सफलता का परचम लहराया।
प्रकाश मेहरा एक सफल फिल्मकार के अलावा गीतकार भी थे और उन्होंने अपनी कई फिल्मों के लिये सुपरहिट गीतों की रचना की थी। इन गीतों में ..ओ साथी रे तेरे बिना भी क्या जीना.लोग कहते है मैं शराबी हूँ..जिसका कोई नहीं उसका तो खुदा है यारो.जवाने जाने मन हसीन दिलरूबा.जहां चार यार मिल जाये वहां रात हो गुलजार.इंतहा हो गयी इंतजार की.दिल तो है दिल .दिल का ऐतबार क्या कीजे.दिलजलो का दिलजला के क्या मिलेगा दिलरूबा.दे दे प्यार दे.और इस दिल में क्या रखा है और अपनी तो जैसे तैसे कट जायेगी और रोते हुये आते है सब हंसता हुआ जो जायेगा..आदि शामिल है।
बताया जाता है मुंबई में अपने संघर्ष के दिनो में प्रकाश मेहरा को अपने जीवन यापन के लिये केवल पचास रूपये में गीतकार भरत ब्यास को .तुम गगन के चंद्रमा हो. मैं धरा की धूल हूं. गीत बेचने के लिये विवश होना पड़ा था।
प्रकाश मेहरा ने अपने सिने करियर में 22 फिल्मों का निर्देशन और 10 फिल्मों का निर्माण किया। वर्ष 2001 में प्रदर्शित फिल्म मुझे मेरी बीबी से बचाओं प्रकाश मेहरा के सिने करियर की अंतिम फिल्म साबित हुयी। फिल्म टिकट खिड़की पर बुरी तरह से नकार दी गयी।
प्रकाश मेहरा अपने जिंदगी के अंतिम पलो में अमिताभ को लेकर ..गाली..नामक एक फिल्म बनाना चाह रहे थे लेकिन उनका यह सपना अधूरा ही रहा और अपनी फिल्म के जरिये दर्शकों का भरपूर मनांरजन करने वाले प्रकाश मेहरा 17 मई 2009 को इस दुनिया को अलविदा कह गये।