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पैक्स के कंप्यूटरीकरण के नियम तय, कुल 2516 करोड़ रुपये के बजट से 63 हजार में पैक्स लगेंगे कम्प्यूटर

पैक्स के कंप्यूटरीकरण के नियम तय, कुल 2516 करोड़ रुपये के बजट से  63 हजार में पैक्स लगेंगे कम्प्यूटर

नयी दिल्ली, 09 जनवरी (वार्ता) देश भर में प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) की कार्यविधियों में सुधार ला कर उन्हें अपने व्यवसाय में विविधता लाने की सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) के कम्प्यटूरीकरण की आदर्श नियमावली राज्यों द्वारा स्वीकार कर ली गयी है और इसके साथ यह काम अब तेजी से शुरू करने की तैयारी है।

नेशनल कौंसिल फॉर कोआपरेटिव ट्रेनिंग (एनसीसीटी) के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, “इससे पैक्स के काम में पारदर्शािता और दक्षता आएगी तथा इनकी विश्वसनीयता बढ़ेगी। पैक्स को पांचायत स्तर पर नोडल डिलीवरी सर्विस केंद्र बनने में मदद मिलेगी।” पैक्स कंप्यूटरीकरण योजना के मुख्य घटकों में डाटा स्टोरेज, क्लाउड आधारित एकीकृत कंप्यूटर साफ्टवेयर, साइबर सुरक्षा ,हार्डवेयर, पुराने अभिलेखों का डिजिटलीकरण और रख-रखाव की व्यवस्था शामिल हैं।

एनसीसीटी के सचिव मोहन मिश्रा ने यूनीवार्ता से कहा, “पैक्स कंप्यूटरीकरण के नियम निर्धारित हो चुके हैं। राज्यों ने केंद्र द्वारा इस संबंध में प्रतिपादित माॅडल नियमावली को स्वीकर कर लिया है। इससे अब यह काम गति पकड़ेगा।”

गौरतलब है कि गृह और सहकारिता मंत्री अमिति शाह की अगुवाई में सहकारिता मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत पैक्स कंप्यूटरीकरण के प्रस्ताव को केंद्रीय मंत्रमंडल स्वीकृति पहले ही दे चुका था। तय नियमों के अनुसार इस परियोजना में साइबर सुरक्षा और डाटा भडांरण के साथ ईआरपी आधारित कॉमन सॉफ्टिेयर का विकास, वर्तमान अभिलेखों के डिजिटलीकरण , पैक्स को हाडावेयर संबंधी सहायता, अनरुक्षण संबंधी सहयोग और प्रशिक्षण शामिल है।

नियमों के अनुसार यह सॉफ्टवेयर स्थानीय भाषा में होगा जिसमें राज्यों की जरूरतों के अनुसार परिवर्तन किया जा सकेगा। परियोजना प्रबंधन इकाइयां (पीएमयू) केंद्र और राज्य स्तर पर स्थापित की जाएंगी। लगभग 200 पैक्स के समूह में जिला स्तर पर सहायता भी प्रदान की जाएगी।

उन राज्यों के मामले में जहां पैक्स का कम्प्यूटरीकरण पूरा हो गया है वहां उन्हें 50 हजार रुपये प्रति पैक्स की प्रतिपूर्ति की जाएगी। इसके लिए शर्त है कि इसके लिए उन्हें कॉमन सॉप्टवेयर के साथ जुड़ना होगा तथा उनका होर्डवेयर निर्देशों के अनुरूप हो और सॉफ्टवेयर पहली फरवरी 2017 के बाद चालू किया गया हो।

इस परियोजना में 2516 करोड़ रुपये के कुल बजट परिव्यय के साथ लगभग 63,000 क्रियाशील पैक्स का कंप्यूटरीकरण होना है जिसमें केंद्र सरकार 1528 करोड़ रुपये का योगदान करेगी।

श्री मिश्रा ने कहा कि इन समितियों में लगभग 13 करोड़ किसान सदस्य हैं। ये समितियां अर्थव्यवस्था के लिए हैं पर इनमें से ज्यादातर का हिसाब किताब हाथ से ही चल रहा है। उन्होंने कहा कि सहकारिता में इसके ऊपर के दो स्तरों राज्य सहकारी बैंक (एसटीसीबी) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (डीसीसीबी) को पहले ही नाबार्ड ने स्वचालित बना दिया है औ उन्हें साझा बैंकिंग साफ्टवेयर मंच पर लाया जा चुका है।

श्री मिश्रा ने कहा कि सहकारिता मंत्री पूरे पूरे सहकारी ऋण सुविधा तंत्र के कंप्यूटरीकरण के माध्यम से उसे राष्ट्रीय साझा मंच से जोड़ने के मंत्रालय के संकल्प को बार बार दोहरा चुके हैं। उन्होंने कहा कि इन सहकारी संस्थाओं के लिए एक सामान्य लेखा प्रणाली लागूकरने का भी प्रस्ताव है।

उन्होंने कहा कि पैक्स का कम्प्यटूरीकरण से वित्तीय समावेशन के उद्देश्य को पूरा करने और खास कर छोटे और सीमाांत किसानों के लिए सेवा वितरण प्रणाली को मजबतू करने में मदद मिलेगी और उन्हें उर्वरक, बीज आहद जैसी सामग्री के लिए नोडल सेवा वितरण बिंदु भी बन जाएगा। पैक्स ग्रामीण क्षेत्र में डिजटलीकरण में सुधार के साथ बकैंकांग गतिविधियों के साथ-साथ गैर-बैंकिंग गतिविधियों के वितरण केंद्र के रूप में भी मदद कर सकती हैं।

सरकार का मानना है कि सहकारी क्षेत्र के अनुसार इससे पैक्स के काम में पारदर्शिता आएगी और लगभग 13 करोड़ किसानों को इसको इसका लाभ होगा जिसमें अधिकांश छोटे और सीमाांत किसान हैं।

मनोहर, उप्रेती

वार्ता

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