नैनीताल, 18 अक्टूबर (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय के स्थानांतरण को लेकर एक बार फिर अफवाहें तेज हो गयी हैं। शुक्रवार को भी दिनभर उच्च न्यायालय के स्थानांतरण एवं नये परिसर को लेकर अफवाहें फैलती रहीं।
उत्तराखंड राज्य के गठन के साथ ही 9 नवम्बर 2000 को नैनीताल में उच्च न्यायालय की स्थापना की गयी थी। नैनीताल स्थित ग्रीष्मकालीन सचिवालय भवन को उच्च न्यायालय में तब्दील कर दिया गया। धीरे धीरे नैनीताल के मल्लीताल में उच्च न्यायालय का भव्य परिसर स्थापित कर दिया गया लेकिन पर्यटक एवं क्षेत्रफल के हिसाब से छोटा पर्वतीय शहर होने के कारण इसके स्थानांतरण की मांग उठती रही है।
पर्यटक शहर होने एवं यहां का प्रतिकूल मौसम गरीब लोगों के लिये सहज न्याय पाने में बाधक रहा है। इसलिये गाहे बगाहे उच्च न्यायालय के स्थानांतरण की मांग उठती रही है। राजनीतिक दलों की बयानबाजी ने आग में घी का काम किया है।
उत्तराखंड एडवोकेट फ्रंट के संयोजक एम.सी. कांडपाल की ओर से प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर उच्च न्यायालय को हल्द्वानी के रानीबाग स्थित हिन्दुस्तान मशीन टूल्स (एचएमटी) परिसर में स्थानांतरित करने की मांग की गयी। इसके बाद उच्च न्यायालय भी हरकत में आया और उसने इसी साल अपनी वेबसाइट पर उच्च न्यायालय के स्थानांतरण को लेकर आम जनता, सामाजिक संगठनों एवं उनके पदाधिकारियों से सुझाव मांगे। श्री कांडपाल ने बताया कि उच्च न्यायालय की वेबसाइट पर लगभग 561 पेजों के सुझाव आये। उन्होंने यह भी बताया कि 70 प्रतिशत से अधिक सुझाव उच्च न्यायालय को नैनीताल से स्थानांतरित करने के लिए आये हैं।
उच्च न्यायालय में अधिवक्ताओं के बीच आज स्थानांतरण को लेकर फिर अफवाह तेज रही। अधिकांश अधिवक्ता के मुंह पर देहरादून, हरिद्वार, हल्द्वानी के गौलापार एवं रामनगर के पीरूमदारा में उच्च न्यायालय के स्थानांतरण की बात चलती रही है।
हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष पूरण सिंह बिष्ट से यूनीवार्ता ने इस अफवाह के बारे में बताया तो उन्होंने कहा कि अफवाह है लेकिन उच्च न्यायालय के स्थानांतरण को लेकर उन्हें कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट बार की आमसभा बुलाने की भी फिलहाल कोई मंशा नहीं है।
श्री कांडपाल ने कहा कि उच्च न्यायालय को रेल एवं हवाई यातायात के नजदीक होना चाहिए। उन्होंने दोहराया कि न्यायालय की पीठ गठित करने की बजाय पूरे उच्च न्यायालय को ही हल्द्वानी जैसी सुविधापूर्ण जगह में स्थानांतरित की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि नैनीताल उच्च न्यायालय परिसर में विस्तार की संभावनायें कम हैं। नये नियुक्त होने वाले न्यायाधीशों के बैठने के लिये जगह नहीं है। ऐसे में बेंच की जगह उच्च न्यायालय को पूरी तरह से स्थानांतरित करने में ही भलायी है।
उच्च न्यायालय के स्थानांतरण को लेकर अधिवक्ताओं में भी आम राय नहीं है। अधिकांश अधिवक्ता दबी जुबान से न्यायालय को नैनीताल से स्थानांतरित करने की बात मानते हैं लेकिन किस जगह स्थानांतरित होनी चाहिए इस पर सबके अपने तर्क हैं। नाम न छापने की शर्त पर अधिकांश अधिवक्ताओं ने माना कि देहरादून या हरिद्वार में उच्च्च न्यायालय की पीठ गठित होने से नैनीताल उच्च न्यायालय में न्यायिक कार्यों पर असर पड़ेगा।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता