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सचिन के बल्ले के गिफ्ट ने मुझे भावुक कर दिया: पृथ्वी शॉ

सचिन के बल्ले के गिफ्ट ने मुझे भावुक कर दिया: पृथ्वी शॉ

मुंबई, 20 जून (वार्ता) भारत के युवा बल्लेबाज पृथ्वी शॉ जब मात्र आठ साल के थे तो क्रिकेट लीजेंड सचिन तेंदुलकर ने उन्हें एक बल्ला गिफ्ट कर भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी थीं।

पृथ्वी ने दिग्गज खिलाड़ी सचिन से मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा कि जब सचिन ने उन्हें बल्ला गिफ्ट किया था तब वह भावुक हो गये थे। शॉ ने पुरानी यादों को ताजा करते हुए कहा, “जब मैं आठ साल का था, तब सचिन एमआईजी में आये थे। मुझे इतना ही याद है। वह मुझे कहीं से देख रहे था लेकिन उनके पुकारने से पहले तक मुझे इस बात का पता नहीं लगा। वह मुझसे इतने प्रभावित थे कि उन्होंने मुझे एक बल्ला गिफ्ट कर दिया।”

उन्होंने कहा, “जब सचिन ने मुझे बल्ला दिया, तो मैं भावुक हो गया था। उन्होंने मुझे शुभकामनाएं दीं और कहा कि मुझे उम्मीद है कि आप इस बल्ले से ढेरों रन बनाएंगे।”

शॉ ने वर्ष 2018 में वेस्ट इंडीज के खिलाफ अपना टेस्ट पदार्पण किया था। जब वेस्टइंडीज के महान बल्लेबाज ब्रायन लारा से शॉ के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “वह वीरेंद्र सहवाग और सचिन तेंदुलकर का तालमेल है।” वेस्टइंडीज के दिग्गज क्रिकेटर से मिली ऐसी प्रशंसा शॉ की प्रतिभा का स्तर बताती है।

ऊंची बैकलिफ्ट, शानदार स्ट्रोकप्ले और भयमुक्त बल्लेबाजी का दृष्टिकोण रखने वाले युवा मुंबईकर की बल्लेबाजी किसी भी क्रिकेट प्रशंसक के लिए मनोरंजन का पूरा मिश्रण है और इस तरह से लोगों को रोमांचित करना शॉ ने तब शुरू किया था जब वह मुश्किल से तीन वर्ष के थे।

शॉ के पिता पंकज शॉ ने कहा, “विरार या नगर पालिका में जब वह टेनिस गेंद से खेलता था, तो उसे देखने के लिये भारी संख्या में लोग इकठ्ठा होते थे। वह अब जिस तरह से खेलता है उस वक्त भी इसी तरह से खेलता था। उसका स्वाभाविक खेल ऐसा ही है। हर कोई कहता था कि इसे मुंबई ले जाओ। मुझे उस वक्त क्रिकेट के बारे में अधिक जानकारी नहीं था।”

शॉ की प्रतिभा से वह सभी लोग बहुत जल्दी वाफिक हो चुके थे जिन्होंने उन्हें खेलते देखा था। लेकिन वह इतना छोटा था कि कई कोचों ने उसे अपने यहां प्रशिक्षण देने से मना कर दिया था। जिसके बाद पिता-पुत्र की जोड़ी विरार वापस लौट आई। लेकिन इससे उनका उत्साह काम नहीं हुआ और यहीं से शॉ के करियर ने उड़ान भरी।

यह तो तय था कि शॉ कुछ बड़ा करेंगे लेकिन इसके लिये उन्हें कुछ असाधारण करने की जरूरत थी और यह हुआ नवंबर 2013 में जब 14 वर्ष के शॉ ने हैरिस शील्ड मैच में 546 रनों की रिकॉर्ड पारी खेल अपनी असाधारण प्रतिभा का लोहा बखूबी मनवाया। इस पारी ने शॉ को एक झटके में सुर्ख़ियों में ला दिया था।


शॉ ने उस पारी को याद करते हुए कहा, “विकेट कीपर ने कहा कि वह अगले दिन खेलने नहीं आएंगे और उस वक्त मैंने 500 नहीं बनाये थे। मैं 300 पर खेल रहा था। उसे गेंद बिल्कुल नहीं मिल रही थी। वह विकेट के पीछे बस बॉल के आने का इन्तजार करता रहा और बॉल उस तक नहीं पहुंच रही थी। ”

इस पारी की खबर को जबरदस्त कवरेज मिली और इसने मुंबई के बल्लेबाजी इतिहास में एक नया आयाम जोड़ दिया। शॉ को लेकर नई धारणाएं बननी शुरू हो गई थीं और प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पर्दापण करना अब उनका अगला कदम था जिसे उन्होंने वर्ष 2017 में अपने अंदाज में पूरा कर लिया।

शॉ रणजी ट्रॉफी के सेमीफाइनल में मुंबई के लिए पारी की शुरुआत करते हुए पहली पारी में कुछ खास कमाल नहीं दिखा सके थे, लेकिन उन्होंने अगली पारी में अपने तेवर के अनुरूप धमाकेदार शतक जड़ा। इस पारी ने टीम को तेजी से लक्ष्य का पीछा करने में मदद की। उन्हें इसके लिये मैन ऑफ द मैच के पुरुस्कार से भी नवाजा गया।

शॉ ने कहा, “चंदू सर को उसी वक्त सचिन सर का संदेश प्राप्त हुआ जिसमें लिखा था कि उससे कहो कि वह जैसे खेलता है वैसे ही खेले। कुछ अलग नहीं करना है और इससे हम जीत दर्ज कर जाएंगे। ”

शॉ के लिये वर्ष 2018 में अंडर-19 विश्वकप अगला बड़ा पड़ाव था और उनके ऊपर कप्तानी का अतिरिक्त दवाब भी था। उनके लिए हालांकि चुनौतियां नयी नहीं थीं। शॉ भले ही अपने मानकों के अनुसार इस टूर्नामेंट में अपनी छाप नहीं छोड़ पाये, लेकिन उन्होंने एक विश्वकप टूर्नामेंट में अंडर-19 भारतीय कप्तान द्वारा सबसे अधिक रन बनाए। भारत का खिताब जीतना जाहिर तौर पर उनकी बड़ी उपलब्धि थी।

शॉ ने कहा, “निश्चित तौर पर विश्व कप एक बड़ा अवसर था। मेरे लिए यह वाकई बहुत बड़ी बात थी। मुझे याद है कि वर्ष 2008 में जब विराट कोहली कप्तान थे तो उस वक्त मैंने सभी मैच देखे थे। इसलिए जब मुझे पता चला कि मैं विश्वकप में कप्तानी कर रहा हूं, तो मुझे महसूस हुआ कि यह कुछ बड़ा होने वाला है।”

भारत की सीनियर टीम में बदलाव उसी साल हुआ जब शॉ वेस्टइंडीज के खिलाफ घरेलू सीरीज में पर्दापण करने से पहले इंग्लैंड दौरे के दौरान टेस्ट टीम में शामिल हुए थे। उन्होंने अपने पहले टेस्ट मैच की पहली पारी में शतक बनाते हुए मैन ऑफ द मैच का सम्मान अर्जित किया। उस श्रृखंला में वह मैन ऑफ द सीरीज भी थे।

शॉ ने उस वक्त के बारे में बताते हुए कहा, “मुझे वहां (ड्रेसिंग रूम में) भाषण देना था और कुल मिलाकर तीन भाषण थे। एक टेस्ट मैच पर्दापण के पहले, दूसरा मैन ऑफ द मैच पुरस्कार पाने के बाद और तीसरा मैन ऑफ द सीरीज मिलने के पश्चात। ”

शुभम राज

वार्ता

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