लखनऊ 30 मई (वार्ता) इसे सरकारों की कमजोर इच्छाशक्ति कहें अथवा कानून का तोड़ निकालने में माहिर तंबाकू कारोबारियों का महारथ, लेकिन सच है कि युवा पीढ़ी के फेफड़ों समेत अन्य महत्वपूर्ण अंगों को कमजोर करने वाले तंबाकू उत्पाद की धड़ल्ले से हो रही बिक्री देश को आर्थिक महाशक्ति बनाने के इरादे को कही ना कही कमजोर कर रही है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक भारत में हर साल 12 लाख लोगों की मृत्यु का कारक तंबाकू का सेवन है। घंटे के हिसाब से यह आंकड़ा 137 बैठता है जबकि पूरी दुनिया में तंबाकू की वजह से प्रत्येक वर्ष 55 लाख लोग असमय मौत का शिकार बन जाते हैं।
श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल में चेस्ट रोग विभाग में वरिष्ठ चिकित्सक अशोक यादव ने ‘यूनीवार्ता’ से कहा कि तंबाकू का सेवन फेफड़ों को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचाता है जिसकी भरपाई दवाइयों से नहीं की जा सकती। डाक्टर रोग की रोकथाम के उपाय बता सकते हैं जिसमें सबसे पहले तंबाकू से परहेज करना अनिवार्य किया जाता है। सुबह की सैर, योग के साथ निश्चित समयावधि के लिये नियमित रूप से दवाइयों का सेवन फेफडों को और अधिक क्षतिग्रस्त होने से बचा सकता है।
डा यादव ने बताया कि एक सिगरेट जिंदगी के 11 मिनट कम कर देती है। बीड़ी को कुछ लोग कम नुकसानदेह मानते हैं लेकिन ऐसा नहीं है। कार्बन मोनोऑक्साइड और निकोटीन की मात्रा तक हर मोर्चे पर यह सिगरेट से ज्यादा नुकसानदायक होती है। रोग बिगड़ने पर फेफड़ा सिकुड़ जाता है और आक्सीजन व कार्बन डाई आक्साइड का आदान-प्रदान ठप हो जाता है जो फेफड़े का मुख्य काम है।
उन्होने कहा कि ध्रूमपान के आदी व्यक्ति को सूखी खांसी,सांस फूलना की तकलीफ की संभावना हर समय बनी रहती है। फेफड़ों के कमजोर होने के लक्षण शुरूआती दौर में भूख कम लगना, वजन कम होना, शरीर कृषकाय होने के तौर पर पहचाने जा सकते हैं। रोग की पहचान और इलाज में देरी जानलेवा भी साबित हो सकती है। उन्होने कहा कि तंबाकू के सेवन का सीधा असर फेफडो पर होता है हालांकि इसके चलते लोग हृदयरोग, किडनी और लीवर से संबधित बीमारियों के अलावा जानलेवा कैंसर का शिकार हो रहे है।
देश में तंबाकू उत्पादों के उत्पादन और बिक्री पर पूर्णत: प्रतिबंध की वकालत करते हुये डा यादव ने कहा कि सरकार और स्वंय सेवी संस्थायें समय समय पर इस संबंध में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करती है। उच्चतम न्यायालय ने भी तंबाकू उत्पादो की बिक्री पर लगाम कसने के लिये कई मर्तबा आदेश जारी किये हैं लेकिन मुनाफे से भरपूर इस कारोबार में संलिप्त व्यवसायी किसी न किसी रूप में कानून का तोड़ निकाल लेते है जबकि सरकारी दिशा निर्देशों का मखौल उडते कई बार देखा गया है।
2010 में आए वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वेक्षण (गेट्स )के अनुसार भारत में 48 फीसदी पुरुष और 20 फीसदी महिलाएं किसी न किसी रुप में तंबाकू का इस्तेमाल करती हैं। डब्लूएचओ की रिपोर्ट ग्लोबल टोबेको एपिडेमिक के मुताबिक महिलाओं के बीच तंबाकू का सेवन लगातार बढ़ता जा रहा है। गेट्स के मुताबिक विश्व में हर 10 में से एक वयस्क की मौत का कारण तंबाकू सेवन ही है। विश्व में तंबाकू सेवन के कारण हुई कुल मौतों का लगभग पांचवां हिस्सा भारत से आता है।
सरकार तंबाकू उत्पादाें पर कर बढोत्तरी के जरिये कारोबार को हतोत्साहित करने का प्रयास करती है। देश के 12 राज्यों ने तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया हुआ है, इसके बावजूद देश में तंबाकू के कारण होने वाली मौत के आंकडे लगातार बढ रहे है।
केन्द्र सरकार ने हाल ही में वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत तंबाकू उत्पाद पर अधिकतम जीएसटी के ऊपर 204 फीसदी उपकर लगाने का एलान किया था। इसके वावजूद पान मसाला, गुटखा और सिगरेट की बिक्री लगातार बढती गयी।
उधर, मुख्यमंत्री बनने के बाद पिछले साल श्री योगी आदित्यनाथ ने पान मसाला खाने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए प्रदेश भर के सरकारी दफ्तरों में इसके सेवन पर रोक लगायी मगर प्रदेश के बाकी हिस्सों की तरह राजधानी लखनऊ के विभिन्न सरकारी दफ्तरों की सीढियों और इर्द गिर्द पान की पीक के निशान साफ दिखायी देते है।
मध्य प्रदेश, केरल, बिहार, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, झारखंड, छत्तीसगढ़, गुजरात और पंजाब तथा केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ तंबाकू की बिक्री में प्रतिबंध लगा चुके हैं।
प्रदीप भंडारी
वार्ता