राज्य » अन्य राज्यPosted at: Apr 8 2019 3:29PM सेलम-चेन्नई ग्रीन कॉरिडोर भूमि अधिग्रहण, सरकारी आदेश अमान्य
चेन्नई, 08 अप्रैल (वार्ता) मद्रास उच्च न्यायालय ने 10 हजार करोड़ की लागत से आठ लेन वाले सेलम-चेन्नई एक्सप्रेस-वे ग्रीन कॉरिडोर के लिए भूमि अधिग्रहण को लेकर तमिलनाडु सरकार के आदेश को सोमवार को अमान्य कर दिया।
न्यायमूर्ति टी. एस. शिवागननम और न्यायमूर्ति वी. भवानी सुब्बारोयां ने राज्य सरकार को आठ सप्ताह के भीतर भूमि के वास्तविक स्वामियों के नाम पुनर्पंजीयन के जरिए उन्हें भूमि सौंपने के आदेश भी दिए।
पीएमके सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री अंबुमणि रामदॉस, वकीलों तथा 35 भूमि मालिकों और अन्य ने इस परियोजना के खिलाफ न्यायालय में याचिका पेश की थी।
न्यायालय ने कहा कि परियोजना के लिए पर्यावरण क्लियरेंस जरूरी है, क्योंकि परियोजना का पर्यावरण और जल स्रोतों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है और इसमें बड़े बदलाव की आवश्यकता है। न्यायालय ने यह भी कहा कि परामर्शदाता की ओर से प्रस्तुत परियोजना रिपोर्ट संतोषजनक भी नहीं है।
उल्लेखनीय है कि सेलम और चेन्नई को जोड़ने वाली 277.3 किलोमीटर लंबी परियोजना केंद्र सरकार के ‘भारत माता परियोजना’ का एक हिस्सा है। वर्तमान में दोनों शहरों के बीच सफर में छह घंटे का समय लगता है तथा अब इस परियोजना के पूरा होने से यात्रा की अवधि घटकर करीब सवा दो घंटे हो जायेगी। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने इस परियोजना के लिए 10 हजार करोड़ रुपये की स्वीकृति भी दी है लेकिन इस परियोजना की राह में काफी अड़चनें खड़ी हो गयीं। किसानों की ओर से शुरू छोटे स्तर पर प्रदर्शन के बाद किसानों, अधिकारवादी कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के साथ इसके विरोध में आंदोलन ने व्यापक रूप ले लिया। विभिन्न विपक्षी दलों ने भी आंदोलन को अपना समर्थन दिया और किसानों तथा अन्य के प्रति एकजुटता दिखाई।