भारतPosted at: Apr 6 2019 6:40PM उपग्रह भेदी मिसाइल परीक्षण को नहीं रखा जा सकता गापेनीय: डा. रेड्डी
नयी दिल्ली 06 अप्रैल (वार्ता) रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के अध्यक्ष डा. जी सतीश रेड्डी ने आज कहा कि उपग्रह भेदी मिसाइल परीक्षण को गोपनीय नहीं रखा जा सकता क्योंकि उपग्रहों पर अनेक देशों की नजर होती है।
भारत के उपग्रह भेदी मिसाइल परीक्षण के ठीक 11 दिन बाद डा. रेड्डी ने इसके सभी तकनीकी पहलुओं की जानकारी देने के लिए बुलाये गये संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इस मिशन पर सबसे पहले बातचीत वर्ष 2014 में शुरू हुई थी और सरकार ने 2016 में इसे मंजूरी दी। इससे पहले संबंधित प्रौद्योगिकी को विकसित करने पर काम चल रहा था।
डीआरडीओ ने गत 27 मार्च को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित एक भारतीय उपग्रह को ही उपग्रह भेदी मिसाइल से गिराने का सफल परीक्षण किया था। परीक्षण के कुछ ही समय बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुद राष्ट्र के नाम संबोधन में ‘मिशन शक्ति’ नाम के इस अभियान की सफलता की घोषणा करते हुए कहा था कि भारत यह उपलब्धि हासिल करने के साथ अंतरिक्ष महाशक्ति बन गया है और यह क्षमता हासिल करने वाला चौथा देश बन गया है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री पी चिदम्बरम ने इस उपलब्धि का खुलेआम ऐलान किये जाने की आलोचना करते हुए कहा था ,“ उपग्रह को मार गिराने की क्षमता कई सालों से थी। विवेकशील सरकार इस तरह की क्षमता को गोपनीय रखेगी। केवल विवेकहीन सरकार ही इसका खुलासा करेगी और सुरक्षा गोपनीयता के साथ विश्वासघात करेगी। ”
डा. रेड्डी ने कहा ,“ परीक्षण के बाद इस तरह के मिशन को गोपनीय नहीं रखा जा सकता। उपग्रहों पर दुनिया भर के स्टेशनों की नजर होती है। ” उन्होंने कहा कि भारत ने एक जिम्मेदार राष्ट्र के रूप में यह परीक्षण केवल प्रतिरोधक क्षमता हासिल करने के लिए किया है क्योंकि अब सैन्य क्षमता में अंतरिक्ष की भी भूमिका निरंतर महत्वपूर्ण हो रही है।
राष्ट्रीय उप सुरक्षा सलाहकार पंकज सरन ने एक सवाल के जवाब में कहा कि इस परीक्षण से पहले भारत ने अंतरिक्ष मामलों में अपने निकट सहयोगी देशों को इसकी जानकारी दे दी थी। ये सभी देश अभी भारत के साथ हैं और उन्होंने आगे भी अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग जारी रखने की बात कही है।
उल्लेखनीय है कि इस परीक्षण के बाद कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में काफी विवाद हुआ था। भारतीय जनता पार्टी ने कहा था कि कांग्रेस सरकार ने वैज्ञानिकों को इस परीक्षण की अनुमति नहीं दी थी।
डा. रेड्डी ने कहा कि वर्ष 2014 में इस परीक्षण को लेकर चर्चा शुरू हुई। इससे पहले संबंधित प्रौद्योगिकी पर काम चल रहा था। दो वर्ष तक इस प्रौद्योगिकी की बारिकीयों पर गहन काम हुआ और कई तरह की प्रस्तुति के बाद 2016 में इसे सरकार ने हरी झंडी दिखायी। इसके बाद आरंभिक परीक्षणों पर काम शुरू हुआ और दो वर्षों में इसे पूरी तरह से परखे जाने के बाद 2019 में इसके लक्ष्य यानी एक उपग्रह को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया गया। इस उपग्रह को 27 मार्च के परीक्षण में मार गिराया गया।