जयपुर, 11 नवम्बर (वार्ता) राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि विश्वविद्यालयों को विज्ञान एवं तकनीकी तथा विशिष्ट ज्ञान के क्षेत्रों के पाठ्यक्रम अंग्रेजी के साथ हिन्दी में भी विकसित किए जाने चाहिए।
श्री मिश्र आज यहां राजभवन से मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर द्वारा आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा नीति की ऑनलाइन संगोष्ठी में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने शिक्षण संस्थाओं को कला, साहित्य और संस्कृति से जुड़े विषय विशेषज्ञों को अपने यहां बतौर अतिथि व्याख्याता बुलाने और उनसे विद्यार्थियों को रू-ब-रू कराने के साथ ही नियमित पाठ्यक्रमों को रुचिकर बनाने पर जोर दिया है। उन्होंने मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय द्वारा “एक दिन का मिशन” कार्यक्रम के अंतर्गत एक दिन में परीक्षा करवाकर उसी दिन परीक्षा परिणाम घोषित करने के निर्णय को अनुकरणीय बताते हुए इस पर वृहद स्तर पर कार्य करने का आह्वान किया है।
संगोष्ठी में राज्य के 184 महाविद्यालयों के प्राचार्यों, संकाय अध्यक्ष, विभागाध्यक्ष तथा कुलपतियों ने भाग लिया।
राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों को नई शिक्षा नीति की मंशा को समझते हुए अपने यहां आधुनिक समय की मांग के अनुरूप ई-पाठयक्रम क्षेत्रीय भाषाओं में भी विकसित करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थान अपने यहां विद्यार्थियों के लिए वर्चुअल लैब विकसित करें और राष्ट्रीय शैक्षिक टेक्नोलॉजी फोरम में अपनी अभी से भागीदारी सुनिश्चित करें।
उन्होंने शिक्षण संस्थाओं को अपने यहां नवीनतम शोध और अनुसंधान की ऐसी संस्कृति विकसित करने का भी आह्वान किया जिससे विद्यार्थी बहुत सारी किताबों के संदर्भ से एक पुस्तक तैयार करने की सोच की बजाय अपने स्वयं के अनुभव, अध्ययन से मौलिक स्थापनाओं की ओर प्रवृत हो सके। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति पूरी तरह से विद्यार्थी केन्द्रित है। इसमें स्पष्ट उल्लेख है कि न तो किसी भाषा को विद्यार्थी पर थोपा जायेगा और न ही किसी भाषा का विरोध किया जाएगा।
श्री मिश्र ने कहा कि नई शिक्षा नीति में मातृभाषा में अध्ययन की बात इसलिए महत्वपूर्ण है कि इसी से भारतीय भाषाओं को वास्तविक रूप में संरक्षित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा में विद्यार्थी की स्वयं की रूचि महत्वपूर्ण होती है। नई शिक्षा नीति इसी को ध्यान में रखते तैयार की गयी है।
सुनील
वार्ता