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जनकल्याण के लिए आयुर्वेदिक ज्ञान का वैज्ञानिक विश्लेषण आवश्यक: टंडन

जनकल्याण के लिए आयुर्वेदिक ज्ञान का वैज्ञानिक विश्लेषण आवश्यक: टंडन

भोपाल, 28 मई (वार्ता) मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने कहा है कि आयुर्वेदिक चिकित्सा भारत की अत्यंत प्राचीन चिकित्सा पद्धति है, इसमें रोग को जड़ से मिटाने की क्षमता है। हमें अपनी इस पद्धति पर गर्व है।

श्री टंडन राजभवन से कोविड-19 ‘ग्रामीण स्वास्थ्य की चुनौतियाँ एवं आयुर्वेदिक समाधान’ विषय पर वेबीनार को संबोधित कर रहे थे। वेबिनार महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामीण विश्वविद्यालय एवं आरोग्य भारती के संयुक्त तत्वाधान में किया गया। राज्यपाल ने कहा कि प्राचीन काल में ही हमारे आयुर्वेदाचार्य धनवंतरी, चरक और सुश्रुत ने व्यक्ति के संपूर्ण स्वास्थ्य संबंधी शिक्षाएं प्रदान की।

उन्होंने कहा कि प्लास्टिक सर्जरी करने की पद्धति महर्षि सुश्रुत की खोज है। उन्हें इसीलिए 'फादर ऑफ सर्जरी' कहा गया है। इन महर्षियों ने जिस तपस्या, साधना और अनुसंधान से आदमी को स्वस्थ रखने की व्यवस्थाएं दी वे, अद्भुत है। उन्होंने कहा कि बीच के कालखंड में व्यवसायवाद और पाश्चात्य चिकित्सा पद्धति के प्रभाव में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति से लोग विमुख हुए थे। पर आज हम सभी देख रहे हैं और समझ रहे हैं कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति हमारे स्वास्थ्य के लिये कितनी महत्वपूर्ण है।

राज्यपाल ने कहा कि आवश्यकता है कि हमें आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को आधुनिक वैज्ञानिक चिकित्सा पद्धति के अनुरूप अनुसंधानात्मक प्रमाणिकता प्रदान की जाये। आयुर्वेद के क्षेत्र में शोध करके नए स्वरूप में समाज के सामने उसे लाना होगा। वैद्यों को अपने पारंपरिक ज्ञान को वैज्ञानिक विश्लेषण के साथ प्रचारित करने पर भी जोर देना होगा।

श्री टंडन ने कहा कि कोविड-19 जैसी महामारी के संक्रमण दौर में उपचार और रोग-प्रतिरोधकों के नए प्रयोगों की आवश्यकता है। आयुर्वेदाचार्यो को इस दिशा में शोध कर उपचार के उपाय ढूंढने के लिए भी आगे आना होगा। भारत में आयुर्वेद का विकास भारतीयों के लिए लाभकारी होने के साथ ही आज सारे विश्व की आशाओं का केन्द्र भी है। भारतीय आयुर्वेद चिकित्सा का ज्ञान, आचार, विचार और उपचार पर आधारित है। इसी की एक शाखा योग और प्राणायाम अपनाकर लोग बिना दवाई के भी स्वस्थ हो रहे हैं।

वेबीनार में आयुष मंत्रालय भारत सरकार के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने 'ग्रामीण स्वास्थ्य की परिकल्पना' विषय पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय की परिकल्पना स्वर्गीय नानाजी देशमुख की थी। उनकी अथक साधना और भावना के अनुरूप यह विश्वविद्यालय गांवों के विकास के लक्ष्य को पूरा करने का कार्य निरंतर कर रहा है।

सीसीआरएएस भारत सरकार के डायरेक्टर जनरल प्रोफेसर वैद्य के.एस. धीमान ने कोविड-19 एवं आयुर्वेद के क्षेत्र में शोध की स्थिति पर कहा कि आयुर्वेद का क्षेत्र विस्तृत है। इसमें निरंतर शोध की गुंजाइश है। हमारे आयुर्वेदाचार्यों ने अपने ज्ञान के आधार पर जो शोध कार्य किए हैं, उन्हें देश और समाज के सामने लाने का आरोग्य भारती ने जो बीड़ा उठाया है उसकी सफलता से बड़ी समस्या का समाधान संभव है।

बघेल

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