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हंगामे की भेंट चढ़ा संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण

हंगामे की भेंट चढ़ा संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण

नयी दिल्ली 06 अप्रैल (वार्ता) संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण पूरी तरह विपक्ष के हंगामें की भेंट चढ़ गया और दोनों सदनों में किसी भी मुद्दे तथा विधेयक पर चर्चा नहीं हो पायी और एक दिन भी प्रश्नकाल एवं शून्यकाल नहीं हो सका।

लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों के अविश्वास प्रस्ताव को भी हंगामे के कारण नहीं लाया जा सका। इस दौरान दोनों सदनों में किसी भी मंत्रालय या विभाग की अनुदान मांगों पर चर्चा नहीं हो पायी। लोकसभा में अनुदान मांगों तथा वित्त विधेयक को बिना चर्चा के हंगामे के बीच ही पारित किया गया जबकि राज्यसभा में इन्हें केवल संदन के पटल पर रखा गया। लोकसभा में दूसरे चरण में 127 घंटे 45 मिनट तथा राज्यसभा 124 घंटे का समय बर्बाद हुआ।

दोनों सदनों की कार्यवाही आज अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गयी और इसके साथ ही बजट सत्र समाप्त हो गया। बजट सत्र का पहला चरण 29 जनवरी से 9 फरवरी तक चला था। इस दौरान राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा हुई और उसे पारित किया गया तथा 2018-19 के आम बजट पर चर्चा की गयी जिसका वित्त मंत्री अरूण जेटली ने जवाब भी दिया। दूसरा चरण अवकाश के बाद पांच मार्च से शुरू हुआ था।

लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने दूसरे चरण में एक दिन भी कामकाज न होने तथा हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही बार- बार स्थगित किये जाने पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने संसदीय व्यवस्था में लोगों को विश्वास बनाये रखने के लिए सदस्यों को आत्मावलोकन करने और सदन को शांतिपूर्ण ढंग से चलाने की अपील की।

बाईस दिन के दूसरे चरण में विपक्षी सदस्यों ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में घोटाले, आन्ध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने , कावेरी प्रबंधन बोर्ड के गठन तथा दलितों के मुद्दे पर जमकर हंगामा किया जिससे एक दिन भी कार्यवाही सुचारू रूप से नहीं चल पायी।

मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस सबसे पहले 15 मार्च को वाईएसआर कांग्रेस फिर तेलुगू देशम पार्टी उसके बाद कांग्रेस तथा अन्य पार्टियों के सांसदाें ने दिये लेकिन अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कुछ सदस्यों के हंगामें पर सदन में व्यवस्था न होने का हवाला देते हुए इन नोटिसों को सदन के समक्ष लाने में असमर्थता जतायी। इस दौरान मुख्य रूप से अन्नाद्रमुक के सदस्य कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड के गठन की मांग को लेकर हंगामा करते रहे।

संपादक शेष पूर्व प्रेषित से जोड लें।

अरविंद संजीव

वार्ता

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