नयी दिल्ली 05 नवंबर (वार्ता) गुरुनानक देव के 550वें प्रकाशोत्सव के मौके पर करतारपुर साहिब गलियारे के उद्घाटन में 72 घंटे से कम समय रह गया है कि लेकिन भारत विरोधी तत्चों की गतिविधियों की सूचनाओं एवं पाकिस्तान की ओर से सुरक्षा संबंधी इंतजामों की पुख्ता जानकारी नहीं मिलने के कारण सरकार के माथे पर चिंता की लकीरें गहरा रहीं हैं।
सरकारी सूत्रों ने आज कहा कि यह छिपी बात नहीं है कि पाकिस्तान ने भारत की 20 साल पुरानी मांग को बुरी नीयत से स्वीकार किया है और वह इसके माध्यम से हमारे देश को अस्थिर करने की साजिश रच रहा है लेकिन भारत ने इस परियोजना को सकारात्मक रूप में, उत्साह के साथ और सिखों की भावनाओं के अनुरूप लिया तथा एक साल के भीतर ढांचागत सुविधाएं तैयार कर दीं हैं।
सूत्रों के अनुसार दोनों देशों के बीच 24 अक्टूबर को जिस समझौते पर हस्ताक्षर किये गये हैं। उसकी शर्तों के अनुपालन को लेकर भी पाकिस्तान की ओर से असमंजस पूर्ण स्थिति बनायी गयी है। नौ तारीख को 550 विशिष्ट अतिथियों को करतारपुर साहिब जाना है। उनकी सूची और उनके सुरक्षा एवं अन्य प्रोटोकॉल इंतजाम की जानकारी पाकिस्तान को दी जा चुकी है। समझौते के अनुसार यात्रा से चार दिन पहले यानी पांच नवंबर को पाकिस्तान की स्वीकृति आ जानी चाहिए थी लेकिन छह नवंबर देर शाम तक कोई स्वीकृति नहीं मिली है।
सूत्रों ने यह भी बताया कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान के ट्वीट में करतारपुर साहिब जाने वाले यात्रियों के लिए पासपोर्ट की अनिवार्यता खत्म करने और बीस डॉलर की फीस माफ करने संबंधी घोषणाओं पर भी भारत ने पाकिस्तान सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है और समझौते को तदनुसार तुरंत संशोधित किये जाने की मांग की है लेकिन पाकिस्तान सरकार ने अब तक कोई जवाब नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में पासपोर्ट की अनिवार्यता बनी रहेगी। बीस डॉलर की फीस के बारे में भी उन्होंने बताया कि दोनों देशों के नोडल अफसर इस बारे में एक प्रणाली पर बात कर रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल, केन्द्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल एवं हरदीप सिंह पुरी के अलावा अनेक सांसद, यूरोपीय संसद के कुछ सांसद, राज्य सरकारों के मंत्री, विधायक, सरकारी अधिकारी तथा ओवरसीज़ सिटीज़न ऑफ इंडिया कार्ड धारी प्रवासी भारतीय भी जाएंगे जिनकी सुरक्षा एवं प्रोटोकाॅल संबंधी औपचारिकताएं और सुरक्षा संबंधी विशिष्ट आवश्यकताएं हैं। मुख्यमंत्री एवं पूर्व मुख्यमंत्री को आतंकवादियों का सीधा खतरा है। इस बारे में पाकिस्तान से सुरक्षा इंतजामों को लेकर समन्वय से काम करने का अनुरोध किया गया है।
सूत्रों केे मुताबिक इसके अलावा भारत को इस बारे में लगातार खुफिया सूचनाएं मिल रहीं हैं कि गुरुद्वारे के आसपास भारत विरोधी तत्वों की सक्रियता है। समझौते में पाकिस्तान ने गलियारे के आसपास से भारत विरोधी गतिविधियों को नहीं होने देने का वादा किया है। पाकिस्तान की ओर भी उद्घाटन समारोह होना है जिनमें भारतीय यात्री भी शामिल होंगे। इस बारे में भी विदेश विभाग से समन्वय का आग्रह किया गया है। पर इस बारे में कोई साफ साफ उत्तर नहीं मिल रहे हैं।
सूत्रों ने करतारपुर गलियारे की पृष्ठभूमि की चर्चा करते हुए कहा कि यह वास्तव में पाकिस्तान की सेना का आइडिया था ताकि करतारपुर गलियारे के माध्यम से भारत में अलगाववाद एवं सिख उग्रवाद की भावनाओं को भड़काया जा सके। पाकिस्तान के राष्ट्रपति एवं विदेश मंत्री के ऐसे बयान भी आये हैं जिनमें पाकिस्तान की असली मंशा की झलक मिली है। यही वजह थी कि फरवरी में पुलवामा के बाद बालाकोट हमले तथा अगस्त में जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 समाप्त किये जाने के बावजूद पाकिस्तान ने इसे नहीं रोका। उन्होंने यह भी कहा कि इस गलियारे के माध्यम से पाकिस्तान की अपनी उदार छवि पेश करने और खालिस्तानी तत्वों को फिर से सक्रिय करके 2020 में खालिस्तान के पक्ष में जनमत संग्रह का मुद्दा उभारने तथा भारत में सिखों एवं हिन्दुओं के बीच उन्माद भड़काने और तोड़फोड़ कराने की मंशा है।
सचिन संजीव
वार्ता