नयी दिल्ली 07 अक्टूबर (वार्ता) केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक बार फिर दोहराया है कि सरकार वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों को गति देने के साथ ही मार्च 2026 तक नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त करने के प्रति कटिबद्ध हैं।
श्री शाह ने सोमवार को यहां वामपंथी उग्रवाद पर समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और तेलंगाना के मुख्यमंत्री, बिहार के उपमुख्यमंत्री और आंध्र प्रदेश की गृह मंत्री शामिल हुईं।
उन्होंने कहा कि सरकार नक्सलवाद से प्रभावित सभी राज्य के साथ मिलकर 2026 तक नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त करने के प्रति कटिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य में देश के 8 करोड़ आदिवासी भाइयों और बहनों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि विकसित भारत का सही अर्थ है कि देश की 140 करोड़ की जनता तक विकास पहुंचे, जिनमें हमारे 8 करोड़ जनजातीय भाई-बहन शामिल हैं। उन्होंने कहा कि विकास को सही मायनों में दूरदराज़ के इलाकों और जनजातीय लोगों तक पहुंचाने में सबसे बड़ी बाधा नक्सलवाद है। नक्सलवाद गांवों में शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं, कनेक्टिविटी, बैंकिंग और डाक सेवाएं आदि नहीं पहुंचने देता। उन्होंने कहा कि अंतिम व्यक्ति तक विकास को पहुंचाने के लिए हमें नक्सलवाद को समूल नष्ट करना होगा।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि 2019 से 2024 तक नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में बड़ी सफलता प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा कि , “ केन्द्र और राज्य सरकारों के साझा प्रयासों से वामपंथी अंधकार की जगह संविधान प्रदत्त अधिकारों को जगह देना और वामपंथी हिंसक विचारधारा की जगह विकास और विश्वास का एक नया युग शुरू करना चाहते हैं। हम वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस और सरकारी योजनाओं के शत-प्रतिशत अमल से प्रभावित क्षेत्रों को पूर्ण विकसित बनाना चाहते हैं।”
श्री शाह ने कहा कि वामपंथी उग्रवाद से लड़ने के लिए सरकार ने दो नियम तय किए थे। पहला, नक्सलवाद-प्रभावित क्षेत्रों में कानून का राज स्थापित करना और गैरकानूनी हिंसक गतिविधियों को पूर्णतया बंद करना। दूसरा, लंबे नक्सली आंदोलन के कारण जो क्षेत्र विकास से महरूम रहे, वहां उस क्षति को तेज़ी से भरना।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि 30 साल में पहली बार वर्ष 2022 में वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं में मृत्यु की संख्या 100 से कम रही, जो एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि 2014 से 2024 के बीच नक्सलवाद की बहुत कम घटनाएं दर्ज की गईं। इसके अलावा, 14 शीर्ष नक्सली नेताओं का सफाया किया गया और सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का ग्राफ भी ऊपर चढ़ा है। उन्होंने कहा कि वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई अपने अंतिम चरण में है और मार्च, 2026 तक सभी के सहयोग से देश दशकों पुरानी इस समस्या से पूरी तरह मुक्ति पा लेगा। उन्होंने कहा कि बूढ़ा पहाड़ और चकरबंधा जैसे कई क्षेत्र वामपंथी उग्रवाद से पूरी तरह मुक्त हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में 85 प्रतिशत कॉडर स्ट्रैंथ समाप्त कर दी गई है और अब हमें नक्सलवाद पर एक अंतिम प्रहार करने की ज़रूरत है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि नक्सलवाद के खिलाफ छत्तीसगढ़ में मिली सफलता सबको प्रेरणा देती है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित सभी जिलों में विकास का एक नया अभियान चलाया है। व्यक्तिगत और परिवार कल्याण की केन्द्र सरकार और छत्तीसगढ़ सरकार की लगभग 300 योजनाओं के 100 प्रतिशत अमल का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि इन योजनाओं के कारण अब गांव में स्कूल, सस्ता अनाज, सस्ती दवाइयां, पब्लिक हेल्थ सेंटर आदि पहुंचे हैं।
गृह मंत्री ने कहा कि नक्सलवाद आदिवासी क्षेत्रों के विकास में सबसे बड़ी बाधा और संपूर्ण मानवता का दुश्मन होने के साथ ही मानवाधिकारों का सबसे बड़ा हनन करने वाला भी है। उन्होंने कहा कि 8 करोड़ लोगों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखना मानवाधिकार का सबसे बड़ा हनन है। श्री शाह ने कहा कि हजारों निर्दोष आदिवासी भाई-बहन नक्सलियों द्वारा लगाई गई बारूदी सुरंगों से मारे जाते हैं और नक्सलवाद के कारण ही इन क्षेत्रों में विकास रुका हुआ है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा , “ नक्सलवाद के समूल खात्मे के लिए ज़रूरी है कि हम एक फाइनल पुश देकर इस समस्या को हमेशा के लिए खत्म कर दें। उन्होंने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से महीने में एक बार और पुलिस महानिदेशकों से कम से कम 15 दिन में एक बार विकास और नक्सलविरोधी अभियानों का रिव्यू करने को कहा।”
श्री अमित शाह ने कहा कि हमें नक्सलवाद के पूर्ण उन्मूलन की दिशा में काम करना चाहिए। हमें अप्रैल, 2026 में देश की जनता की सामूहिक ताकत के ज़रिए देश को ये बताना है कि राज्य सरकारों और केंद्र सरकार ने मिलकर नक्सलवाद की समस्या को पूर्णतया समाप्त कर दिया है। उन्होंने कहा कि उसके बाद विकास के रास्ते में कोई बाधा नहीं आएगी, कभी भी मानवाधिकार का उल्लंघन नहीं होगा और आईडियोलॉजी के नाम पर हिंसा भी नहीं होगी।
बैठक में वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों को गति देने में राज्यों का सहयोग कर रहे केन्द्रीय मंत्रालयों के मंत्री भी उपस्थित थे। इसके अलावा केन्द्रीय गृह सचिव, निदेशक, आसूचना ब्यूरो, उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी, प्रभावित राज्यों के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और वरिष्ठ अधिकारियों ने भी बैठक में भाग लिया।
संजीव
वार्ता