नैनीताल, 27 मार्च (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने शिक्षा के क्षेत्र में दिये जाने वाले प्रदेश के प्रतिष्ठित शैलेश मटियानी राज्य पुरस्कार को लेकर उपजे विवाद के मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को चार सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं। साथ ही तब तक यथास्थिति बनाये रखने के निर्देश दिए हैं।
मामले को अल्मोड़ा जनपद के चौखुटिया ब्लाक के भाटकोट हाईस्कूल के सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य नृपेन्द्र कुमार की ओर से चुनौती दी गयी है। मामले की सुनवाई 25 मार्च को न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की पीठ में हुई। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि सरकार की ओर से प्रतिवर्ष शिक्षकों को राज्य पुरस्कार के रूप में शैलेश मटियानी पुरस्कार दिया जाता है। इसके तहत प्रथम स्थान हासिल करने वाले अध्यापक को दस हजार रुपये और दो साल का सेवा विस्तार दिया जाता है।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि वर्ष 2018 के लिये इस पुरस्कार के लिये उनका चयन किया गया। उन्होंने 95 में 72 अंक हासिल कर प्रथम स्थान हासिल किया लेकिन सरकार पुरस्कार पर कुंडली मारकर बैठ गयी और नवम्बर, 2020 तक पुरस्कार का आवंटन नहीं किया गया। इसी दौरान वह 31 मई, 2020 को सेवानिवृत्त हो गये।
इसी बीच सरकार ने सेवानिवृत्ति का हवाला देते हुए 29 दिसंबर 2020 को नया आदेश जारी कर पुरस्कार दूसरे स्थान हासिल करने वाली अध्यापिका गीतारानी को देने का निर्णय लिया है। गीतारानी ने मैरिट में 65 अंक हासिल किये।
याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को यह भी बताया गया कि सरकार का यह कदम संविधान में दिये गये मौलिक अधिकारों का हनन है और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ भी है। याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया कि सरकार इसके पीछे जो तर्क दे रही है वह उचित नहीं है। सरकार ने अगस्त 2019 से नवम्बर 2020 तक इस प्रकरण में कुछ नहीं किया।
याचिकाकर्ता की ओर से अदालत से सरकार के 29 दिसंबर, 2020 के आदेश पर रोक लगाने और उन्हें न्याय दिलाने की मांग की गयी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता हरप्रीत सिंह होरा और परितोष डालाकोटि की ओर से बताया गया कि अदालत ने मामले को सुनने के बाद सरकार को चार सप्ताह में जवाब देने के साथ ही यथास्थिति बनाने के निर्देश दिए हैं।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता